
जहां ४ यार मित्र एक साथ बैठ जाएँ वहीं महफिल जम जाती है और फिर जाने क्या क्या बाते चलती हैं। ऐसे ही पिछले हफ्ते हम ५-६ मित्रो कि महफिल बैठी थी। हम सब में से ज़्यादातर ब्लॉग्गिंग में रूचि रखते हैं और ब्लॉग पढ़ते और लिखते हैं।
बात शुरू हुए ब्लॉग्गिंग को ले कर, हम सब हिंदी ब्लॉग लेखन से ही प्रेरित है और हिंदी ब्लोग्स ही ज्यादा पढ़ते और लिखते हैं। बातो बातो में मेरे १ मित्र ने मुझसे मेरे हिंदी ज्ञान के बारे में पुछ लिया।
मैंने भी बड़े गर्व से कहा कि हिंदी तो हमारी राष्ट्रभाषा है, इसका तो मुझे पुर ज्ञान है पूंछो क्या जानना है। उसने मुझसे बड़ा ही सरल सा सवाल पूछा कि, क ख ग घ सुनाओ और हिंदी एश वर्णमाला में कुल कितने अक्षर होते हैं स्वर और व्यंजन मिला के ? उसका ये सरल सा लेकिन , कठिन सवाल सुन के मैं चारो खाने चित हो गया क्यूंकि स्कूल में कक्षा 2-3 के बाद कभी क ख ग घ पढ़ने कि जरुरत ही नहीं पड़ी। जबकि क ख ग घ ही मेरी हिंदी भाषा कि पहली सीढ़ी है। ठीक ढंग से हिंदी भाषा बोलना सिखाने से पहले हमको क ख ग घ आना बहुत जरुरी होता है।
उस वक़्त मुझे बहुत शर्मीन्दगी महसूस हुई , और खुद पर तरस भी आ रहा था कि मुझे मेरी राष्ट्रभाषा कि नीव ही नहीं पता है। मैंने किसी तरह अपनी बला वहां बैठे और दोस्तों पर डाली लेकिन हम ५-६ लोगो में किसी को भी क ख ग घ का ज्ञान नहीं था यहाँ तक कि हममे से किसी को ठीक से ये नहीं मालूम था कि हिंदी कि वर्णमाला में कुल कितने अक्षर होते हैं।
हम सब १ दुसरे का मुहं देखते रह गए। फिर हम सबने आपस में ज्यादा बात नहीं की और १-१ करके सब वहां से उठ के चलते बने। उस दिन के बाद मैंने अपने जान पहचान के करीब 25-३० लोगो से यही सवाल किया लेकिन किसी १ को भी सही उत्तर नहीं मालूम था।
मुझे ऐसा लगा कि शायद हिंदी का सबसे बड़ा दोषी मैं ही हूँ। अंग्रेजी और अंग्रजियत सीखते - सीखते मैं अपनी असली भाषा के ज्ञान को हे खो बैठा हूँ।
ये तो मैंने अपनी बात बताई लेकिन सच्चाई यही है कि हममे से ज़्यादातर लोगों को आज हिंदी बस बोलने भर कि आती है, हम खुद ही अपनी रास्ट्रीय भाषा को मार रहे हैं, क्यूंकि अगर ऐसा नहीं होता तो हमको हिंदी दिवस मानाने कि जरुरत ना पड़ती।
अगर आपको भी देखना है कि आप कितने पानी में हैं तो, एक बार पूरा क से ज्ञ याद कीजियेगा फिर आपको ख़ुद ही मालूम हो जाऐगा कि आप कितने पानी में तैर रहे हैं।
मैंने भी बड़े गर्व से कहा कि हिंदी तो हमारी राष्ट्रभाषा है, इसका तो मुझे पुर ज्ञान है पूंछो क्या जानना है। उसने मुझसे बड़ा ही सरल सा सवाल पूछा कि, क ख ग घ सुनाओ और हिंदी एश वर्णमाला में कुल कितने अक्षर होते हैं स्वर और व्यंजन मिला के ? उसका ये सरल सा लेकिन , कठिन सवाल सुन के मैं चारो खाने चित हो गया क्यूंकि स्कूल में कक्षा 2-3 के बाद कभी क ख ग घ पढ़ने कि जरुरत ही नहीं पड़ी। जबकि क ख ग घ ही मेरी हिंदी भाषा कि पहली सीढ़ी है। ठीक ढंग से हिंदी भाषा बोलना सिखाने से पहले हमको क ख ग घ आना बहुत जरुरी होता है।
उस वक़्त मुझे बहुत शर्मीन्दगी महसूस हुई , और खुद पर तरस भी आ रहा था कि मुझे मेरी राष्ट्रभाषा कि नीव ही नहीं पता है। मैंने किसी तरह अपनी बला वहां बैठे और दोस्तों पर डाली लेकिन हम ५-६ लोगो में किसी को भी क ख ग घ का ज्ञान नहीं था यहाँ तक कि हममे से किसी को ठीक से ये नहीं मालूम था कि हिंदी कि वर्णमाला में कुल कितने अक्षर होते हैं।
हम सब १ दुसरे का मुहं देखते रह गए। फिर हम सबने आपस में ज्यादा बात नहीं की और १-१ करके सब वहां से उठ के चलते बने। उस दिन के बाद मैंने अपने जान पहचान के करीब 25-३० लोगो से यही सवाल किया लेकिन किसी १ को भी सही उत्तर नहीं मालूम था।
मुझे ऐसा लगा कि शायद हिंदी का सबसे बड़ा दोषी मैं ही हूँ। अंग्रेजी और अंग्रजियत सीखते - सीखते मैं अपनी असली भाषा के ज्ञान को हे खो बैठा हूँ।
ये तो मैंने अपनी बात बताई लेकिन सच्चाई यही है कि हममे से ज़्यादातर लोगों को आज हिंदी बस बोलने भर कि आती है, हम खुद ही अपनी रास्ट्रीय भाषा को मार रहे हैं, क्यूंकि अगर ऐसा नहीं होता तो हमको हिंदी दिवस मानाने कि जरुरत ना पड़ती।
अगर आपको भी देखना है कि आप कितने पानी में हैं तो, एक बार पूरा क से ज्ञ याद कीजियेगा फिर आपको ख़ुद ही मालूम हो जाऐगा कि आप कितने पानी में तैर रहे हैं।
राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी ने कहा है
"एक राष्ट्र राष्ट्रीय भाषा के बिना गूंगा है "
6 comments:
आपने बिलकुल सही कहा है...वर्णमाला सबको याद नहीं है और ना ही की हिंदी वर्णमाला में कितने वर्ण हैं? अब इसके आगे वर्ण और अक्षर में क्या अंतर है ये बताना तो दूभर ही हो जायेगा....
एक बात और की क्ष ,त्र और ज्ञ वर्णमाला में नहीं आते ये संयुक्ताक्षर हैं..
वर्णमाला केवल ह् तक ही होती है...
sahi kaha
Bilkul sahi baat kahi aapane...!!
आपले सही कहा लेकिन आज कल का ज़माना ही ऐसा है कि हम अपने गौरवशाली इतिहास को भूल कर अंग्रेजी का बोल बाला मानने लगे हैं।
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