June 23, 2013

प्रकृति से दो टूक

देवेश 

 हम बूँद बूँद को तरसे
तुम वहाँ इतना क्यूँ बरसे
हमको मारा बिन पानी
उनको मारा पानी पानी में
तुम कहते हो ये मेरा प्रतिशोध है
मैं कहता हूँ उन निर्दोषों क्या दोष है ॥

February 22, 2013

पहली हकीकत हो तुम...

ओस की बूँद जैसी  मासूम हो
तुम
तारे की धीमी रौशनी की साज हो
तुम
फूल की पंखुड़ी जैसी सख्त हो
तुम
सावन के झूले सी मदमस्त हो
तुम
मेरी दुनियां में सबसे अनमोल हो
तुम ,
मेरे सपनो की दुनिया की
पहली हकीकत हो
तुम ॥ 


December 31, 2012

कुंठित मानसिकता ...

2012 विदा होते हुए अपनी कई सुख और दुःख भारी यादें दे गया | इन यादों में सबसे दर्दनाक यादें हैं "भारत की बहादुर बेटी की विदाई" इस बेटी के जाने के सदमें में पूरा देश डूबा है तथा अपराधियों के खिलाफ उबरा जनसैलाब भी वाजिब है | अब सवाल ये उठता हैं कि ऐसी घिनौनी हरकत करने वाले होते कौन हैं , लगतार सामूहिक बलात्कार अथवा बलात्कार के बाद हत्या करने वाले दरिंदे किस समाज से ताल्लुकात रखते हैं ? ऐसी कुंठित मानसिकता के शिकार लोग बहुत ही नीचे तबके के होते होंगे लेकिन ये भी गंवारा नहीं कि ऐसी मानसिकता के लोग सिर्फ नीचे तबके के हों | यदि ऐसा होता तो बुद्धजीवियों के दफ्तर में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ के किस्से न्यूज़ पेपरों में ना छपते होते| मेरा ये मानना है ऐसी हरकत करने वाले लोग उस मानसिकता से हैं जिन्हें महिलाओं को अपने बराबर खड़ा होते देख सहन नहीं होता , महिलाओं की आज़ादी देख अपने आप में कुंठित हो जाते हैं | अफ़सोस इस बात का है ऐसी सोच का बीज हमारे देश में शुरू से बोया गया था | पुरुष और महिलाओं बराबरी का दर्ज़ा ना देकर | अगर ऐसी ही कुंठित मानसिकता रही तो हमारे देश में ऐसे हादसे कभी नहीं रुक पायेंगे | जरूरत है सोच को बदलने की |

December 18, 2012

बड़े दुःख की बात...

भारत की राजधानी दिल्ली, जिसकी महिला मुख्यमंत्री ...उसी राज्य में ..आये दिन महिलाओं के साथ बलात्कार छेड़छाड़ के मामले सबसे ज़्यादा हैं | बड़े दुःख की बात है ...अपराधी कहीं ना कहीं इतने बेकौफ हैं कि कानून और सरकार को अपनी चुटकी में लेकर अपराध को अंजाम देते हैं...| चलती बस में रेप की खबर न्यूज़ पेपर से लाकर न्यूज़ चैनल तक .....ब्लॉग से लेकर फ.बी के हर पेज़ तक इसकी चर्चा रही ....लेकिन सवाल सिर्फ चिल्लान
े तक नहीं ....सवाल ये है ,ये हादसे कब तक राजधानी को शर्मसार करते रहेंगे ? आज हंगामा कल फ़िर सब शांत होंगे .....अगर इस हंगामे का कोई अंजाम होता तो इस राजधानी में 2012 oct. तक रेप के 580(नेशनल दुनिया न्यूज़ पेपर के अनुसार ) मामले ना होते | ऐसे हादसे जब होते हैं तब मुख्यमंत्री के दफ्तर से लेकर संसद तक शोर होता हैं ....और फ़िर जैसे जैसे वक्त गुजरता है ....शोर की गूंज धीमी हो जाती हैं |
क्या बीत रही होगी उस पीड़ित बेटी के माँ - बाप पर जो जिंदगी से लड़ रही है ....क्या बीत रही होगी उस लड़की के दोस्त पर जो अपनी पूरी ताकत लगाकर चलती बस में ...उन दरिंदों से बचा नहीं पाया | ये सोचने के बाद दिमाग में यही आता है ऐसे अपराध को अंजाम देने वालों को सरे - आम फांसी दे देनी चाहिए | जिससे फ़िर कभी कोई अपराधी ऐसा अपराध करने से पहले अपने मौत को निश्चित कर लें |

December 17, 2012

कितने लाइक आते हैं

हीरो - हिरोइन पे बहुत लाइक आते हैं ...आज देखते हैं इस शहीद जवान पर कितने लाइक आते हैं" ऐसे कमेन्ट अक्सर फेसबुक पर देखने को मिल जाता है ... मै ऐसे कमेन्ट करने वाले से ये कहना चाहता हूँ ....रील लाइफ के हीरो-हिरोइन से उनकी कोई तुलना नहीं ....उनकी कीमत तो वो भी समझतें और लाइक करतें हैं जो फेसबुक से भी अनजान हैं ....हमारे देश के जवान की कीमत खेत में हल चला रहा किसान और ऑफिस में बैठा एक ऑफिसर भी समझता और "लाइक" करता है ....उनकी कुर्बानी चंद "लाइक" की मोहताज नहीं |

December 16, 2012

भगवान से डर...

अक्सर ऐसे फारवर्डड मैसेज आते है कि "इस मैसेज को दस लोगों को फारवर्डड करके देखिए आपके जीवन में तुरन्त खुशियाँ आएगी .....यदि इसे डिलीट किया तो आपके साथ अनहोनी हो जायेगी" मै समझ नहीं पाता ऐसे मैसेज निर्मित कौन करता है ..वो भी भगवान के नाम पर ...ऐसा कौन इंसान होगा जो अपनी ज़िंदगी में खुशियों के बजाय दुःख झेलना चाहेगा ....ऐसा मैसेज आने के बाद ऐसा प्रतीत होता है ...सर पे किसी ने आस्था के नाम कि बन्दूक लग
ा दी हो और बोल रहा हो ऐसा कर नहीं तो मर ....मरता क्या ना करता ...जीवन किसे नहीं प्यारा ....दस लोगों को मैसेज फारवर्डड कर दिया अब उसके सर से बोझ हटा अब अगला झेले ...लेकिन ये सब आस्था के नाम पे क्यूँ ...क्या भगवान भी डरा डरा के अपने समर्थक बढ़ाते हैं | हाल ही में आयी एक हिंदी फिल्म "oh my god" आस्था के नाम पर मची लूट खसोट का जबर्दस्त विवरण है ....इस फिल्म में ये साफ़ दर्शाया गया है भगवान को लोग प्रेम से नहीं डर से मानते हैं | हालाँकि फिल्म अपने उद्देश्य में खरी उतरी कि भगवान को डर से नहीं प्रेम से मानो....ये तो फिल्म कि बात रही | लेकिन असल ज़िंदगी में भी ये बात खरी उतरती है | हमें भगवान से डर है प्रेम नहीं ||

June 6, 2012

सन्नी लियोन का आगमन ......

देवेश प्रताप

भारत के लोगों की एक खास विशेषता है ....हम उस चीज़ को ज़्यादा महत्व देतें है ...जो बाहर से आई होतीं है ......ये खास कर बॉलीवुड में खूब देखने को मिलता है | आज कल सन्नी लियोन की चर्चा खूब है ...शायद इसलिए कि वो पोर्न स्टार हैं | बिग बॉस में उनको भारत आने का न्योता मिला .....और अब भारत में ही बस गयीं ......बसें भी क्यों ना हिंदी फिल्मों में काम करने का मौका जो मिल गया है ....अब उन्हें औरों कि तरह अपने आप को स्टार जो बनाना है .......फिल्मों में लाने का नेक काम महेश भट्ट ने किया .......सन्नी लियोन को लेकर बाप-बेटी यानी महेश और पूजा भट्ट जोर शोर से प्रचार में लगें हैं .........हद तो तब हो गई जब पूजा भट्ट ने सन्नी के अन्तः वस्त्र को नीलाम करने का एलान किया .........आखिर पूजा भट्ट साबित क्या करना चाहती हैं ? क्या भारत के लोग फिल्मों में सिर्फ वासना को ही पसंद करते हैं .........| ये बात तो साफ़ है सन्नी लियोन को फिल्म इंडस्ट्री में लाने का मकसद है कि उनके जिस्म से पैसा की उगाई करना .......मुझे तो नहीं लगता उनके अंदर कोई कलाकार जैसे गुड़ होंगे .........| इस जिस्म बाजारी के खेल में .......भला एकता कपूर कैसे पीछे रहतीं उन्होंने ने भी ........लगे हाथ सन्नी से एक फिल्म साइन करा ली | अब धीरे-धीरे सन्नी के बिरादरी के लोग भारत में प्रवेश करेंगे .........और फ़िर यहाँ के निवासी बनकर अपने हक़ की लड़ाई लड़ेंगे ,"आखिर उनका हक़ जो बनता है" उनकी मांग शायद ऐसी कुछ होंगी "हमारी पोर्न साइटों को IRCTC जितना दर्ज़ा दो , हमारे काम को बढ़ावा दो " उस समय सरकार क्या निर्णय लेगी वो सके विवेक पर निर्भर करेगा | और फ़िर क्या...... राज्य सभा में बैठने के लिए न्योता दिया जायेगा , पद्मभूषण से सम्मानित किया जायेगा .........कितना हास्यास्पद होगा जब ऐसा होगा ..

June 3, 2012

क्या लिखूं .....

देवेश  प्रताप

बहुत दिनों बाद लिख रहा हूँ ...लेकिन एक बात तो सत्य है ....कि  इस ब्लॉग को बहुत मिस करता हूँ .....आज  ब्लॉग खोल कर जब लिखने बैठा तो सोचा क्या लिखूं कहाँ  से शुरू करूँ क्या शुरू करूँ .......तो ख्याल आया यदि आधुनिकता की ये दुनिया ना होती तो ये ब्लॉग ना होता यदि ब्लॉग ना होता तो ...इतनी सुंदर रचनाएँ , अनेको विचार और भावनाओं की नदियाँ कहाँ बहती.....शायद खुद की डायरी में या फ़िर बिखरे पन्नों में |  मुझे याद है, इलाहबाद में मेरे रूम पार्टनर अक्सर आपनी बातों को चंद  पन्नों पर संजो देते थे | एक दिन कोई किताब ढूंढते हुए मैं उनकी अलमारी तक पहुँचा चार पांच पन्ने मेरे हाथ लगे जिसे मैं अलगकर किताब ढूँढने में लग गया ...हालाँकि किताब नहीं मिली ...अंततः ..उन पन्नों को उठा कर आलमारी पर रखते वक्त मेरी निगाह कुछ शब्दों पर रुक गई ...ना चाहते हुए भी उन पन्नों पर निगाह दौड़ने लगी  .......हालाँकि कुछ भी पर्सनल जैसा नहीं था .......लेकिन जो भी लिखा था वो एक दर्द ,असमंजस  और तमाम उन बातों का जखीरा, जो शायद किसी से बयाँ नहीं किया जा सकता ......शाम को मैंने उनसे पूछा कि "आप इन सब बातों को लिखते क्यों हैं...इससे क्या फायदा" ......उन्होंने कहा "सुकून के लिए" ये बात मेरे बहुत दिनों तक समझ में न आई .... .....लेकिन जब से मैंने ब्लॉग की  दुनिया में कदम रखा और शब्दों को संजोना शुरू किया ......तब समझ आया कि अपनी बातों को लिख कर व्यक्त करने में कितना सुकून मिलता है | .....ओह ये लिखते-लिखते क्या उलूल-जुलूल लिख डाला ...खैर कोशिश रहेगी कि निरन्तर कुछ ना कुछ इस ब्लॉग पर परोसता रहूँ ...........

March 14, 2012

ख्वाहिशों में जगे सपने ....

देवेश प्रताप

घोंसलों से निहारती आँखों में आस्मां से
लिपट जाने का सपना है ,

गुलाब की कलियों को खिल कर
मुस्कुराने का सपना है,

बादलों में लिपटी पानी की बूंदों को
ज़मीं को छू लेने का सपना है ,

कौन जाने इन सपनो को कब मंजिल
मिलेगी फिर भी

ख्वाहिशों में जगे हर सपने को पूरा
कर लेने का सपना है |

January 3, 2012

नई शुरुवात ....

देवेश प्रताप

ज़िन्दगी की नई शुरुआत के साथ ....फिर से मुख़ातिब हूँ आप सब से | 25 नवम्बर 2011 को एक सफलता हासिल हुई जिसकी कसमकस काफी दिनों से चल रही थी | वो कसमकस थी हमारे प्यार की ......25 नवम्बर को मैं और मेरी जीवन संगनी सपना शादी के अटूट बंधन में बंध गए | बस अब आप सब की शुभकामनयें और प्यार हमारे साथ ....है |
हमारे तरफ से आप सभी को नए वर्ष की ढेर सारी शुभकामनयें |

एक नज़र इधर भी

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