December 15, 2010

देश कौन चला रहा है सरकार य उद्धोगपति ?????

देवेश प्रताप

भारत की २० करोड़ जनता भूख की नींद सोती है , १५ करोड़ बाप सुबह ये सोच के उठता है की अपने बच्चे को ख़ुद से बेहतर ज़िन्दगी प्रदान करेगा , अफ़सोस वही बाप , बेटे को पहेले कन्धा देता है, कुपोष या किसी बीमारी का शिकार होने से | ऐसे भारत में सत्ता सम्भालने वाले नेता पैसों का खेल खेलते हैं | जब मंत्रियों द्वारा किया गया घोटाला सामने आता है तो ऐसा लगता है कि अब जाकर उसने नेता होने का सबूत दिया है | और शायद उनकी बिरादरी में इसे बहुत उच्च स्तर का कार्य माना जाता होगा | हाल में सामने आए जी स्पेक्ट्रम का मामला जिसमें नेताओं से लेकर उद्धोगपतियों तथा मीडिया के नकाबपोश चेहरे सामने आए | टाटा के मालिक ने सुप्रीम कोर्ट में ये गुहार लगायी की फ़ोन टेप को किसी भी तरह सार्वजनिक किया जाए | सुप्रीम कोर्ट ने भी चहकते हुए मीडिया पर झाड़ लगायी की मीडिया अपनी हद में रहे | मेरा यह मानना है कि टेप को सभी फ़ोन पर caller tune की तरह लगा देना चाहिए ताकि लोंगो को ये पता चले कि आप जिस देश में रहते हैं , उस देश को सरकार नहीं यहाँ के उद्धोगपति चलाते हैं |

December 8, 2010

मन में सवालों के हिलोरे

देवेश प्रताप

आज सुबह से मन में कई सवाल हिलोरे रहें हैं | पता नहीं ज़िन्दगी में जिस उंचाई को छूने की तमन्ना है वहाँ तक पहुँच पाउँगा या नहीं , जिस डगर पर चल रहा हूँ यकीनन ये रास्ता उस मजिल की नहीं जाता , फिर मैं क्यूँ उस रास्ते पर बढ़ रहा हूँ ? ऐसे कुछ सवाल पूरा दिन मेरे जहन में उठते रहे | बचपन से नजाने ऐसा क्यूँ रहा जिस रस्ते पर चलने के लिए सोचा उससे हमेशा उल्टा चलना पड़ा , जन्संचारिता की पढाई जब शुरू हुई तो मन में एक ही विचार था की यहाँ से निकलने के बाद पत्रकारिता में कदम रखेंगे लेकिन जैसे जैसे कोर्स आगे बढ़ता गया फिल्म और टेलीविज़न की पढाई आई तो समझ में आया की असली क्षेत्र तो मेरा ये है , जिसमें विडियो एडिटिंग , फोटोग्राफी , विडियोकैमरा , तथा निर्देशन मेरा आकर्षण का केंद्र बनगया हालाकिं अपने आपको साबित करते हुए विडियो एडिटिंग , और कैमरे पर अच्छा अनुभव प्राप्त कर लिया , रही सही निर्देशन तो कॉलेज स्तर के कार्यक्रम में वो भी करके देखा , तथा इलाहाबाद विश्वविदालय पर एक डाक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाया | अब अन्तः मन ये कह रहा है की पत्रकारिता का क्षेत्र में क्यूँ उतर आया .......लेकिन उसकी भी एक मजबूरी जिस संस्थान में काम कर रहा हूँ , रखा तो मुख्य रूप से कैमरा और विडियो एडिटिंग के लिए गया था | लेकिन कुछ कारणो से रिपोर्टिंग भी करनी पड़ रही है | जो की मै बिलकुल नहीं चाहता कि मै एक पत्रकार बनू क्यूंकि मेरे अन्दर वो जील नहीं है , हाँ क्रियेटिविटी से जुड़े किसी भी चीज़ के लिए मै तैयार हूँ , चाहे वो लेखन हो या एडिटिंग या निर्देशन | फिलहाल अच्छे वक्त का इंतज़ार है | मन में चल रहे इस उथल पुथल को आप लोंगो के सामने रख कर बड़ा सुकून मिला | ठीक उसी तरह जैसे एक बच्चा परेशान हो कर अपनी माँ से सब कुछ कह देता है , और फिर आँचल में सर रख कर सो जाता है |

December 7, 2010

आप लोंगो से बिछड़े हुए ३ महीने हो गये

देवेश प्रताप


क्या कहूँ , क्या लिखूं कुछ समझ नहीं आरहा | आप लोंगो से बिछड़े हुए ३ महीने हो गये | आज ऐसा लग रहा है दोबारा इस ब्लॉग की दुनिया में जन्म हो रहा है | इतने दिनों में ये तो तय था आप सबको बहुत याद किया | पिछले दिनों समय के जाल में कुछ इस तरह फंसा की उससे निकल पाना मुश्किल हो गया | हालाँकि इतने दिनों में बहुत कुछ बदल गया | जन संचारिता की पढाई भी पूरी होगई , कॉलेज से बिदाई लेकर जीवन के दूसरे मोड़ पर आगया हूँ । जहां से ये तय करना है अब जाना कहाँ है | आप सब के आशीर्वाद से एक ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल www.thenews24x7.com में बतौर फोटोजर्नलिस्ट काम मिलगया है | ये सफलता की पहली सीढ़ी जिस पर कदम रखा है | वैसे यहाँ काम करने के बहुत अच्छा लग रहा है | जॉब मिले एक महीना होगया लेकिन वक्त का प़ता न चला | अब देखते हैं आगे आगे ज़िन्दगी कहाँ ले जाती है या फिर हम ज़िन्दगी को कहाँ लजाते हैं | आप लोंगो से ये वादा तो नहीं लेकिन कोशिश ज़रूर करूँगा की रोजाना मुलकात होती रहे |

एक नज़र इधर भी

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