June 6, 2012

सन्नी लियोन का आगमन ......

देवेश प्रताप

भारत के लोगों की एक खास विशेषता है ....हम उस चीज़ को ज़्यादा महत्व देतें है ...जो बाहर से आई होतीं है ......ये खास कर बॉलीवुड में खूब देखने को मिलता है | आज कल सन्नी लियोन की चर्चा खूब है ...शायद इसलिए कि वो पोर्न स्टार हैं | बिग बॉस में उनको भारत आने का न्योता मिला .....और अब भारत में ही बस गयीं ......बसें भी क्यों ना हिंदी फिल्मों में काम करने का मौका जो मिल गया है ....अब उन्हें औरों कि तरह अपने आप को स्टार जो बनाना है .......फिल्मों में लाने का नेक काम महेश भट्ट ने किया .......सन्नी लियोन को लेकर बाप-बेटी यानी महेश और पूजा भट्ट जोर शोर से प्रचार में लगें हैं .........हद तो तब हो गई जब पूजा भट्ट ने सन्नी के अन्तः वस्त्र को नीलाम करने का एलान किया .........आखिर पूजा भट्ट साबित क्या करना चाहती हैं ? क्या भारत के लोग फिल्मों में सिर्फ वासना को ही पसंद करते हैं .........| ये बात तो साफ़ है सन्नी लियोन को फिल्म इंडस्ट्री में लाने का मकसद है कि उनके जिस्म से पैसा की उगाई करना .......मुझे तो नहीं लगता उनके अंदर कोई कलाकार जैसे गुड़ होंगे .........| इस जिस्म बाजारी के खेल में .......भला एकता कपूर कैसे पीछे रहतीं उन्होंने ने भी ........लगे हाथ सन्नी से एक फिल्म साइन करा ली | अब धीरे-धीरे सन्नी के बिरादरी के लोग भारत में प्रवेश करेंगे .........और फ़िर यहाँ के निवासी बनकर अपने हक़ की लड़ाई लड़ेंगे ,"आखिर उनका हक़ जो बनता है" उनकी मांग शायद ऐसी कुछ होंगी "हमारी पोर्न साइटों को IRCTC जितना दर्ज़ा दो , हमारे काम को बढ़ावा दो " उस समय सरकार क्या निर्णय लेगी वो सके विवेक पर निर्भर करेगा | और फ़िर क्या...... राज्य सभा में बैठने के लिए न्योता दिया जायेगा , पद्मभूषण से सम्मानित किया जायेगा .........कितना हास्यास्पद होगा जब ऐसा होगा ..

June 3, 2012

क्या लिखूं .....

देवेश  प्रताप

बहुत दिनों बाद लिख रहा हूँ ...लेकिन एक बात तो सत्य है ....कि  इस ब्लॉग को बहुत मिस करता हूँ .....आज  ब्लॉग खोल कर जब लिखने बैठा तो सोचा क्या लिखूं कहाँ  से शुरू करूँ क्या शुरू करूँ .......तो ख्याल आया यदि आधुनिकता की ये दुनिया ना होती तो ये ब्लॉग ना होता यदि ब्लॉग ना होता तो ...इतनी सुंदर रचनाएँ , अनेको विचार और भावनाओं की नदियाँ कहाँ बहती.....शायद खुद की डायरी में या फ़िर बिखरे पन्नों में |  मुझे याद है, इलाहबाद में मेरे रूम पार्टनर अक्सर आपनी बातों को चंद  पन्नों पर संजो देते थे | एक दिन कोई किताब ढूंढते हुए मैं उनकी अलमारी तक पहुँचा चार पांच पन्ने मेरे हाथ लगे जिसे मैं अलगकर किताब ढूँढने में लग गया ...हालाँकि किताब नहीं मिली ...अंततः ..उन पन्नों को उठा कर आलमारी पर रखते वक्त मेरी निगाह कुछ शब्दों पर रुक गई ...ना चाहते हुए भी उन पन्नों पर निगाह दौड़ने लगी  .......हालाँकि कुछ भी पर्सनल जैसा नहीं था .......लेकिन जो भी लिखा था वो एक दर्द ,असमंजस  और तमाम उन बातों का जखीरा, जो शायद किसी से बयाँ नहीं किया जा सकता ......शाम को मैंने उनसे पूछा कि "आप इन सब बातों को लिखते क्यों हैं...इससे क्या फायदा" ......उन्होंने कहा "सुकून के लिए" ये बात मेरे बहुत दिनों तक समझ में न आई .... .....लेकिन जब से मैंने ब्लॉग की  दुनिया में कदम रखा और शब्दों को संजोना शुरू किया ......तब समझ आया कि अपनी बातों को लिख कर व्यक्त करने में कितना सुकून मिलता है | .....ओह ये लिखते-लिखते क्या उलूल-जुलूल लिख डाला ...खैर कोशिश रहेगी कि निरन्तर कुछ ना कुछ इस ब्लॉग पर परोसता रहूँ ...........

एक नज़र इधर भी

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