देवेश
हम बूँद बूँद को तरसे
तुम वहाँ इतना क्यूँ बरसे
हमको मारा बिन पानी
उनको मारा पानी पानी में
तुम कहते हो ये मेरा प्रतिशोध है
मैं कहता हूँ उन निर्दोषों क्या दोष है ॥
हम बूँद बूँद को तरसे
तुम वहाँ इतना क्यूँ बरसे
हमको मारा बिन पानी
उनको मारा पानी पानी में
तुम कहते हो ये मेरा प्रतिशोध है
मैं कहता हूँ उन निर्दोषों क्या दोष है ॥
7 comments:
दोष मनुष्य का है ,जो प्रकृति के नियमों के प्रतिकूल चल कर उसे अपने अनुशासन में रखने का दंभ पाले है !
agree with pratibha ji .
धर्म की राजनीति चमकाने का वक्त नहीं है ये !
हर बात को धर्म से क्यों जोड़ देते हैं ZEAL जैसे लोग?
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