देवेश प्रताप
तन्हाई अपनी व्यथा सुनाते हुए कहती है ......
अक्सर वो मुझसे ख़फा रहते है ।
जाने क्यों मुझसे जुदा रहते है ॥
मैं दामन विछा देती हूँ
उनकी ख़ुशी के लिए
जब उनके जीवन के
फूल मुरझा जाते है ॥
मचल जाती हूँ
उनकी एक हंसी के लिए
सहन होता नहीं ,ये देख कर
जब वो बेवफा के लिए रोया करते है ॥
दौड़ आती हूँ , पास
उनके लाख मना करने पर
खुश होता है मन ,उन्हें देख कर
चैन से जब वो सोया करते है ॥
''तन्हाई'' कह कर मुझे ,वो कोसा करते है ।
तन्हा मै भी तो हूँ, क्यूँ न वो समझा करते है ॥
18 comments:
Waah! kyaa baat hai sundar rachana ..gahare vichaar!!
Badhai
वाह!! बहुत सुन्दर!!
'तन्हाई'' कह कर मुझे ,वो कोसा करते है ।
तनहा मै भी तो हूँ, क्यूँ न वो समझा करते है ॥
सही बात है। हम तन्हाई को कोसते हैं जब कि वो उस समय हमारा साथ देतझै जब कोई और हमारे साथ नही होता। सुन्दर कविता शुभकामनायें
बहुत खूब देवेश भाई , आज तो आपने दिल को छू लिया ।
दिल को छूते विचारों की रचना।
Wa-wah...kya khub jabab nahi zanab aapka dil ko sukun mila padha kar.
तन्हाई की नई नई बातें... लिखते रहिये। तन्हाई पढ़ना लिखना अच्छी बात है।
badhiya kavita rahi bhai Devesh..
तन्हाई'' कह कर मुझे ,वो कोसा करते है ।
तन्हा मै भी तो हूँ, क्यूँ न वो समझा करते है
--- sach bahut hi khoobsurat panktiyan hain ... kisi ne socha hi na hoga ki tanhai bhi kuch kehti hai...
ati sunder bhavo kee abhivykti .........
tanhaee baut kuch kah gayee.............
अक्सर वो मुझसे ख़फा रहते है ।
जाने क्यों मुझसे जुदा रहते है ॥
मैं दामन विछा देती हूँ
उनकी ख़ुशी के लिए
जब उनके जीवन के
फूल मुरझा जाते है ॥
'तन्हाई'' कह कर मुझे ,वो कोसा करते है ।
तन्हा मै भी तो हूँ, क्यूँ न वो समझा करते है ॥
bahut acchee lagee aapkee ye rachana........
''तन्हाई'' कह कर मुझे ,वो कोसा करते है ।
तन्हा मै भी तो हूँ, क्यूँ न वो समझा करते है..
सब तन्हाई को कोसते भी हैं पर सभी उसका इंतेज़ार भी करते हैं .... दास्ताने तन्हाई लाजवाब है .......
''तन्हाई'' कह कर मुझे ,वो कोसा करते है ।
तन्हा मै भी तो हूँ, क्यूँ न वो समझा करते है ॥
जबरदस्त रचना -बहुत संभावनाएं हैं आपमे भाई
tanha mai bhi hu kyu n vo
samjha karte hai .....
bahut khub.......
achhi rachna hai
सही है !!
आप सब का बहुत बहुत ......आभार .
बहुत सुन्दर चित्रण . उसके मनोभाव खूब उकेरे है !!
wah devesh bhai wah!!
maza aa gaya
बहुत सुन्दर रचना । आभार
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