February 24, 2010

क्रिकेट बड़ा या सचिन...

क्रिकेट में एक कहावत है कि कोई खिलाड़ी खेल से बड़ा नहीं होता,और जब मैं नज़र घुमा कर देखता हूँ तो बात सच भी नज़र आती है, कि कोई भी खेल से बढकर नहीं है, लेकिन जब मेरी नज़र सचिन पर पड़ती है, तो मैं अपने आप में ही उलझ जाता हूँ कि क्या सच में सचिन बड़ा या खेल तब मैं यही सोचने लगता हूँ कि क्या बचा है इस खेल में जो सचिन ने ना किया हो, आज कोई उन्हें क्रिकेट का जादूगर कह रहा है, और कोई उन्हें क्रिकेट का भगवान जिसे जो पसंद आया उसने उस नाम से उन्हें बुला लिया आज सचिन की उपलब्धियाँ सचिन से भी बड़ी हो गयी है सचिन के बारे में आज जितना कहा जा रहा है वो सब तो यही लगने लगता है कि सच में कहीं सचिन ही तो क्रिकेट से बड़ा नहीं है सचिन के बारे में लोगों के अपने - अपने विचार हैं कोई कहता है कि भारत में एक व्यक्ति है, जो समय को रोक सकता है, तो कोई कहता है कि मैंने भारत के लिए नंबर चार पर भगवान को खेलते देखा है और कोई कहता है क्रिकेट एक धर्म है और सचिन इसके भगवान है उनके आकड़े भी इस बात को ये सोचने के लिए मजबूर कर देते हैं,कि जिस इंसान ने एकदिवसीय में लगभग १७५०० रन और टेस्ट में१३५०० रन बनाये हो और जिसके नाम दोनों प्रारूपो में ९२ शतक हो। अब मैं क्या बताऊ इनके रेकॉर्ड्स के बारे में ,इनके रेकॉर्ड्स को मैं एक पोस्ट में बता सकूँ ऐसा बहुत कठिन है क्यूंकि क्रिकेट का कोई भी रिकॉर्ड इनसे बचा ही नहीं है, या यूँ कहें कि रिकार्डो का बेताज बादशाह ये सारी बातें सोचने को मजबूर करती है कि सचिन ही खेल से बड़े है लेकिन मन में यही बात आती है कि सचिन क्या हैं उन्हें जो कुछ मिला आज वो जो है वो सिर्फ इसी खेल कि वजह से है, आज अगर यह क्रिकेट का खेल ना होता तो उसका भगवान भी ना होता ऑस्ट्रेलिया के महान कप्तान स्टीव वां ने कहा है कि कोई भी खिलाड़ी खेल से बड़ा नहीं होता। उनका यह कथन मेरे मन की इस दुविधा को ख़त्म करता है कि सच में कोई भी खिलाड़ी चाहे कितना भी महान हो जाये, लेकिन वो खेल से बड़ा नहीं होता क्यूंकि सचिन तो एक खिलाड़ी हैं, जो आज है कल नहीं रहेंगे, लेकिन ये खेल आज भी है और कल भी रहेगा सही मायने में ये कहा जाये कि सचिन नहीं उनसे भी ज्यादा है, महान ये क्रिकेट, जो अपने लिए खेलने वाले खिलाडियों को महान बनाता है अंत में मैं इसी निष्कर्ष पर निकलता हूँ कि सच में खेल बड़ा है ना की अर्थात क्रिकेट बड़ा है ना कि सचिन !
लेखक : पंकज सिंह
प्रस्तुतकर्ता : देवेश प्रताप

8 comments:

अरुण चन्द्र रॉय said...

sach kaha hai aapne... lekin ant mein khel hi bada hota hai jo mahan khiladiyon ko khelne ka mauka deta hai... kehl vastav mein pita ke saman hai aur maidan hai maa.... sachin ho ya bradman... cricket se bade nahi ho sakte... cricekt unhe bada banata hai... kamobesh yahi formula sabhi khelon par hota hai... hockey naa hota to dhyanchand ji nahi hote... achhi prastuti... iss aur bhi stayriya banaya jaa sakta tha...

Dinbandhu Vats said...

Khel se bada koi khiladi nahi ho sakata. kyonki khel hi usaki paridhi hi.vah usase bahar nahi ja sakata.han yah sacha hai ki sachin us paridhi ke sima par pahuch chuke hai.

Mithilesh dubey said...

बिल्कुल सही कहा आपने ,सचिन तो क्रिकेट के भगवान हैं ही ।

निर्मला कपिला said...

ापसे पूरी तरह सहमत हूँ मगर लोगों की मानसिकता का क्या करें साधन को साध्य समझने लगते हैं। शुभकामनायें

Pushpendra Singh "Pushp" said...

बिलकुल सही कहा आपने
सुन्दर पोस्ट

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सही विश्लेषण ....सचिन महान क्रिकेटर हैं इसमें कोई शक नहीं पर वो महान हैं क्रिकेट की वजह से...

दिगम्बर नासवा said...

खेल सबसे बड़ा है ... और सचिन उसको बड़ा बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं .... बस इतना ही है ...

रानीविशाल said...

Beshakk khail hi bada hai jisaki wajah se hi khiladiyon ka itana bada wajud hai aaj chahe Sachin ho ya koi aur hi...!!

एक नज़र इधर भी

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