देवेश प्रताप
एक दिन आईने ने मुझसे पूछा ,
तूने प्यार में दर्द कि सिवा पाया ही क्या है।
मैंने आइने से हंस कर कहा,
कि तुने मेरी सूरत के सिवा देखा ही क्या है ॥
आईने ने पलट कर कहा,
फिर तेरी आँखों में ये आंसू क्यों टिकता है ।
मैंने आईने से मुस्करा कर कहा,
उनकी तस्वीर को तू आंसू क्यों समझता है ॥
आईने ने फिर मुझसे पूछा ,
तू उसी से क्यों इतनी मोहब्बत करता है ।
मैंने आइने से नजरे मिला कर कहा,
समंदर में बमुश्किल से सीप का मोती मिलता है ॥
25 comments:
समंदर में बमुश्किल से सीप का मोती मिलता है.nice
देख लेगा मुझमें अब अपनी हकीकत आईना
आईना बनकर खड़ा हूँ आईने के सामने
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
आईने ने फिर मुझसे पूछा ,
तू उसी से क्यों इतनी मोहब्बत करता है ।
मैंने आइने से नजरे मिला कर कहा,
समंदर में बमुश्किल से सीप का मोती मिलता है ॥
-बहुत खूब!
bahut sunder panktiya......
मैंने आइने से नजरे मिला कर कहा,
समंदर में बमुश्किल से सीप का मोती मिलता है ॥
sunder rachana .
एक दिन आईने ने मुझसे पूछा ,
तूने प्यार में दर्द कि सिवा पाया ही क्या है।
मैंने आइने से हंस कर कहा,
कि तुने मेरी सूरत के सिवा देखा ही क्या है ॥
आईने ने फिर मुझसे पूछा ,
तू उसी से क्यों इतनी मोहब्बत करता है ।
मैंने आइने से नजरे मिला कर कहा,
समंदर में बमुश्किल से सीप का मोती मिलता है ॥
अद्भुत। शानदार। वजनदार। रूहस्पर्शी
समुद्र के मोती एकत्र करते रहिए, आँखे झिलमिलाती रहेंगी। बढिया रचना के लिए बधाई।
bahut hi sunder aur gehri soch liye hue hai :)
समंदर में बमुश्किल से सीप का मोती मिलता है---- लाजवाब अभिव्यक्ति है। शुभकामनायें
aaine se guftgu ho jaye to khud ki pehchaan hone lagti hai.. :)
wow !
लाजवाब है आपकी गुफ्तगू आईने से .... बहुत खूब ...
"आईने ने फिर मुझसे पूछा ,
तू उसी से क्यों इतनी मोहब्बत करता है ।
मैंने आइने से नजरे मिला कर कहा,
समंदर में बमुश्किल से सीप का मोती मिलता है॥"
लाजवाब, बहुत ही रूहानी अभिव्यक्ति। आभार!! ...शुभकामनायें!!
आयना सच बोल देता है!
दिल के राज खोल देता है!
आईने ने फिर मुझसे पूछा ,
तू उसी से क्यों इतनी मोहब्बत करता है ।
मैंने आइने से नजरे मिला कर कहा,
समंदर में बमुश्किल से सीप का मोती मिलता है ॥
खूब सूरत वार्तालाप आईने के साथ....सुन्दर
एक दिन आईने ने मुझसे पूछा ,
तूने प्यार में दर्द कि सिवा पाया ही क्या है।
मैंने आइने से हंस कर कहा,
कि तुने मेरी सूरत के सिवा देखा ही क्या है ॥
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
बेहद खूबसूरत भावाभिव्यक्ति...बेहतरीन रचना..बधाई.
______________
शब्द सृजन की ओर पर पढ़ें- "लौट रही है ईस्ट इण्डिया कंपनी".
bahut bahut khoob bhai
aaine ko bahut badiya jawaab diya aapne
Waah!! Behad khubsurat bhavnaao se saji sundar abhivyakti....badhai!
bahut sundar abhivyakti hai.prashansha ke patra hai aap.sach me sarahniye hai.achhi chijen kam milati hai aur use sambhlana bhi mushkil hota hai.tabhi to ankhon se moti chhalak jata hai.
एक दिन आईने ने मुझसे पूछा ,
तूने प्यार में दर्द कि सिवा पाया ही क्या है।
मैंने आइने से हंस कर कहा,
कि तुने मेरी सूरत के सिवा देखा ही क्या है ॥
kya baat kahee...
holee kee anek shubhkamnayen!
Priya Devesh,
meri hardik shubhkamnayen HOLI par.Aaj achanak hi blogs par tumhara naam dekh kar mn hua ki dekhe to kaun hai ,par tum to ekdam apne hi ho bhai .Pratapgarh koi chota jila nahi ek alag vajood ke saath andhere mey khada ek light house hai jo hum sabhi ko bheetar se roshni deta hai.
I also belong to Pratapgarh and basically I belong to SRINATHPUR ,near RAJGARH you must be knowing.
Working as Professor HINDI at govt t.r.s.autonomous college and research centre REWA MP
I am really impressed by quality of yr blog.
Pl write what you feel.This is the key to stable successs in writing.
I appriciate yr effort and wish very best for any thing you do.
With love and blessings yours,
Dr.Bhoopendra Singh (425898136
Pl give yr cellno so that we can communicate to each other.
आईना बनकर खड़ा हूँ आईने के सामने
waise to puri poem hi bahut achi hai...bt last line ne dil ko chhu liya aur ye bhi bata diya ki kitni gahrai hai aapki soch aur aapke pyar me.
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