काल सुबह मैं करीब ८ बजे उठा और अपना नेट ओन किया की चलो होली में घर जाने की रेलवे टिकेट बुक कर लू, क्यूंकि हमारे घर की तरफ गिनती की २ ही रेलगाड़ियों की सेवा है। रेलवे की ऑनलाइन बुकिंग वेबसाइट खोली और मैंने खली सीट्स चेक की, गिनती की १०-१२ सीट ही खली थी १ ट्रेन में और दूसरी में कोई सीट नहीं थी। इतने में मेरे यहाँ लाइट चली गई, मैंने सोचा की लाइट का कोई भरोसा नहीं है चलो reservation काउंटर से हे टिकेट ले आता हूँ। मेरे घर के सामने हे aaims हॉस्पिटल है वहां पर reservation काउंटर है। 8:३० तक मैं काउंटर पर पहुच गया, वहम मेरे आगे ३-४ लोग और खड़े थे मैंने फॉर्म लिया और उसको भरा फिर अपनी बारी की प्रतीक्षा में लाइन में खड़ा हो गया।
अब मेरा नंबर आने hee वाला था क्यूंकि मेरे आगे वाले व्यक्ति ने अपना फॉर्म टिकेट बनाने वाले ऑफिस को दे दिया था और वो अपनी जेब से पैसे निकल रहा था टिकेट के।
इतने में टिकेट बनाने वाले ऑफिसर ने अंदर से मेरे आगे खड़े हुए व्यकी से कहा की तुम आदमी हो या औरत, फॉर्म में जगह dee गई है जहाँ साब साफ़ लिखा है की आदमी हो या औरत अंकित करो।
मेरे सामने वाले व्यक्ति ने बड़े ही लहजे से जवाब दिया की सर आपको जो भरना हो भर दो उस जगह पर।
अंदर वाले ऑफिसर ने उसका फॉर्म फेकते हुए कहा की ऐसे कैसे भर दू मैं तुम जाओ इसको भर के लाओ, और चुटकी लेते हुए कहा की क्या तुमको ये भे नहीं पता की तुम आदमी हो या औरत।
मुझे ये सब ड्रामा देख के बहुत गुस्सा आ रहा था क्यूंकि मुझे मालूम था की जितनी देर होगी सीट फुल होने का खतरा उतना ही जादा है, तो मैंने अपने आगे वाले व्यक्ति से कहा की यार तू पुरुष लिख के देदे मुझे भी टिकेट लेनी है देर होगी तो सीट नहीं मीलेगी।
तो उसने कहा की कैसे पुरुष लिख दू , तो मैंने कहा की यार पुरुष नहीं लिख सकता है तो स्त्री लिख de लेकिन जल्दी कर और भी लोग लाइन में हैं। तो उसने कहा की मैं वो भे नहीं लिख सकता, मेरी कैटेगिरी इस फॉर्म में है ही नहीं। मैं झल्ला गया और मैंने गुस्से में कहा की क्यूँ बे हिजडा है क्या, उसने टपक से जवाब दिया हैं सही समझे हिजड़ा ही हूँ।
उसके बाद वो लाइन से गया और मैंने अपनी टिकेट ली, १ आर ऐ सी मिली।
वापस आते हुए रास्ते में मैं सोच रहा था की मुझे उस इंसान को ऐसे हिजड़ा नहीं बोलना था। फिर मेरे मन में ख्याल आया की जब वो इंसान भारत का नागरिक ,है और उसको भारत के संविधान के अनुसार सारे हक़ और मौलिक अधिकार प्राप्त हैं तो उसकी कैटेगिरी क्यूँ नहीं है फॉर्म में।
मैंने घर आया तब तक लाइट आ चुकी थे मैंने नेट ओन किया और रेलवे की साईट खोली और वहां पर दिए गए reservation फॉर्म को भे चेक्क किया उसमे भी सिर्फ पुरुष और स्त्री कैटेगिरी थी ।
मैंने सोचा की ये क्या ना इंसाफी हो रही है इन किन्नरों के साथ, इनको हमारी सरकार मौलिक अधिकार से ही वंचित रख रही है।
मैंने हिस्टरी में पढ़ा था की पहले राजा की रानियों के सेवक किन्नर हुआ करते थे, और ये युद्ध भे लड़ा करते थे और राजाओ के दरबार में उचे पद पर रहते थे।
लेकिन आज इनकी क्या हालत है की इनको इज्ज़त की जिंदगी जीना भी मुस्किल हो गया है, जब हमारी सरकार ही इनको इस लायक नहीं समजती की इनको इनके संविधानिक हक़ दे, तो क्या होगा इनका?
मैं तो इन लोगो के साथ घटित हो रही गलत चीजो की १ घटना का साक्षी हु, लेकिन रोज हे इन लोगो के साथ जाने क्या क्या घटता होगा ।
No comments:
Post a Comment