January 10, 2010

पागल हो क्या ...............................


रमेश मौर्या
पागल हो क्या या फिर तुम बेवकूफ हो, ऐसे जुमले हमें अक्सर सुनाने को मिलते हैं, उनसे जो हर काम में खुद को दुसरे से जिअदा अच्छा समझते हैं। देखा अक्सर ये गया है की हम कोई भी काम कर रहे हो अगर ऐसा कोई महान व्यक्ति हमारे आस पास है तो वो हमें पागल या बेवकूफ बना के उस काम में अपनी कुशलता सिद्ध करने की कोसिस करेगा।
अब कल के घटना क्रम को ही बताता हू। हुआ यूँ की मैं अपने कंप्यूटर पर बैठा कुछ ब्लॉग पोस्ट कर रहा था। तभी एक ऐसे हे महान आत्मा का आगमन हुआ मेरे कमरे में, ही उनके मुख से जो पहले अमृत वचन निकले वो थे, क्या यार जब देखो बेवकूफों की तरह तुम ये सब लिखने में लगे रहते हो कोई पढ़ता भी है।
मुझे थोडा झल्लाहट हुए की, बन्दे ने न दुआ न सलाम बस आते हे मुझे बेवकूफ बना दिया। खैर मैंने उनकी इस तरह की टिपण्णी पर कोई जवाब नहीं दिया। मैंने बस उनको आँखों से इशारा किया की अब आ ही गए हो तो बैठो।
जनाब मेरे कमरे में लगी चारपाई पर बैठ गए। उनके बैठने के बादमैं यह सोच रहा था की ये बन्दा या तो कुछ बोले न और अगर बोले भे तो मेरे ब्लॉग लिखने के विषय में न बोले। लेकिन थोड़ी देर बैठने के बाद उनोहोने मुझसे सवाल puncha, यार रमेश ये बता जो तू लिखता रहता है रोज किसी न किसी विषय पर तो इससे क्या होता है, क्या कोई इसको पढ़ता भी है, या बस बेवकूफों की तरह लिखते हे रहते हो।
अब मैं क्या जवाब देता उनकी बात का मैं चुप था कुछ नहीं बोला और लिखता रहा। वैसे भे इनके आने के बाद मैं जो लिखना चाहता था उसमे से मेरी एकाग्रता भंग हो चुकी थी लेकिन मुझे इनकी बात का जवाब न देना पड़े इसलिए मैं बेमान से लिखे जा रहा था।
थोड़ी से जब उनको मेरी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला तो उनोहोने कहा की आचा बता कितने लोग पढ़ते हैं तेरा ब्लॉग यार सब बेकार है , तू पागल है फालतू में समय बर्बाद करता है ।
मैं अब भे चुप था खुद को रोके हुए, फिर थोड़ी देर बाद वो मेरे पीछे खड़े हो गए आ के और मेरा ब्लॉग देखते हुए बोले की, यार १ बात है कोई पढ़े या न पढ़े ये सब चीजे मालूम होनी जरुरी है। आज पूरी दुनिया ब्लॉग्गिंग कर रही है, हो सकता है कल किसी ने मुझसे सवाल कर दिया की ब्लॉग्गिंग कैसे करते हैं तो बता नहीं पाया तो फिर इज्ज़त ख़राब होगी। तो तू ऐसा कर की मेरे लिए भी १ ब्लॉग बना दे मैं भे लिखा करूँगा।
उनके इतना कहने के बाद मैंने सोचने लगा की ये बंद अभी थोड़ी देर पहले मुझे इसी काम के लिए गलियां दे रहा था और अब मुझसे कह रहा है की मुझे भी लिखना है।

कहने का तात्पर्य ये है की ऐसे लोग हमारे आस पास रहते हैं जो पहले किसी भे काम की बुराई करते हैं फिर खुद उसे काम के लिए तयार हो जाते हैं ।

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