सबको बूराई ही क्यूँ नज़र आती है!!!!!!!!!!!
आज फिर वही २ साल पुराने दिन याद आते हैं, जब बड़ी कंपनी में जॉब थी और इतना व्यस्त हुआ करता था कि घर वालो को छोड़ कर किसी मित्र या जानने वाले का फ़ोन उठाना भी मुस्किल हो जाता था।
तब मेरे दोस्त मुझसे शिकायत करते थे कि यार तू तो बहुत व्यस्त हो गया है दोस्तों के लिए वक़्त नहीं है तेरे पास, बहुत गंभीर हो गया है अभी से ही।
और १ आज का दिन है कि दोस्त ये कहते हैं कि तू सोचता नहीं है अपने भविष्य के बारे में। मुझे थोडा बुरा लगता है क्यूंकि अब मैं भरपूर वक़त दोस्तों को देता हु। जिससे शायद उनको लगता है कि मेरे पास फालतू वक़्त है।
लेकिन मेरे समझ में ये नहीं आता है कि यही दोस्त थे जो मुझे पहले कहते थे कि तेरे पास वक़्त नहीं है, और अब जब इनके साथ मैं पूरा वक़्त देता हूँ तो कहते हैं कि तू अब फालतू हो गया है।
यार अच्छाई तो कोई देखता ही नहीं है सबको बूराई ही क्यूँ नज़र आती है।
हम अच्छा करें या बुरा, हमारे आस पास ऐसे लोग जादा होते हैं जो सिर्फ हमें हमारी बुराई ही बताते हैं, क्यूँ कोई हमारा हौसला नहीं बढ़ता है कि आगे बढ़ो अपने लक्ष्य को प्राप्त करो हम सब का सहयोग तुम्हारे साथ है।
जहाँ हमारी खामियां गिनानी होंगी वहां साब लाइन लगा के खड़े हो जाते हैं लेकिन जहाँ हौसला अफजाई और रास्ता दिखने की बात आती है वहां कोई नहीं होता।
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