कल अपने बड़े भाई साहब से मिलने गया था। जाना अचानक ही हो गया था क्यूंकि मेरी जेब खली हो चुकी थी, मित्र मंडली में भी कोई ऐसा ना था जो मेरी कडकी को दूर कर पाता क्यूंकि जिनके पास पैसे थे उनके हम पहले से ही कर्जदार थे और जो बाकी बचे थे वो अपने जैसे कडके थे।
सो आखिरी उम्मीद बड़े भैया ही दिख रहे थे। मेरे बड़े भाई मेरे सगे नहीं मेरे बड़े पिता जी के लड़के हैं। उम्र में हमसे ८-९ साल बड़े होंगे लेकिन अपनी जमती खूब है उनसे। खूब चलती पान कि दुकान है उनकी रेलवे स्टेशन पर। उनकी शादी को १० साल हो गए, मेरे भतीजे कि उम्र ४ साल कि है और भतीजी कि १ साल है ।
बस से उतरा और सीधे दुकान पर चला गया, पहुँचते ही भाई से नमस्कारी कि और थोडा भूमिका बना के कुछ पैसे मागने कि जुगाड़ में लग गया। भाई समझ गए और ५०० के २ नोट मेरी तरफ बढ़ा दिए। पैसे लेने के बाद मैंने गौर किया कि भाई कुछ परेशान हैं आज, मैंने पूछा भाई क्या हुआ कोई बात है क्या जरा परेशान सेदिख रहे हो।
उनोहोने कहा हाँ यार मैं सोचा रहा हूँ कि मेरे पिता जी को तो अंग्रेजी आती नहीं है तो फिर उनोहोने मेरा दाखिला कैसे करवाया होगा स्कूल में। मैंने कहा कि आज कहाँ से ताऊजी कि अंग्रेजी याद आ गई आपको।
भाई ने बताया कि, यार कल स्टेशन पार वाले पब्लिक स्कूल में गया था सोनू के दाखिले कि बात करने तो मैंने कहा कि इसमे इतनी परेशानी वाली बात क्या है अभी तो १-२ महीने का वक़्त है दाखिला करवा देंगे।
भैया कहने लगे कि यार तुझे नहीं पाता ये पब्लिक स्कूल बस नाम से पब्लिक का दिखता है लेकिन है ये अंग्रेजो के लिए, और फिर काउंटर से १ किताब निकते हुए कहा, देख इसमे लिखा है कि अगर किसी बच्चे को के जी में भी दाखिला लेना है तो उसके माता पिता का इंटरविउ होगा, और अगर माता पिता इस्नातक नहीं हैं तो उनका इंटरविउ भी नहीं होगा, यानी कि जिसके माता पिता ने अच्छी शिक्षा नहीं प्राप्त कि हो, उनके बच्चे भी अच्छे स्कूल में नही पढ़ सकते।
मैंने कहा कि भाई तो आपको क्या दिक्कत है आप तो इस्नातक हो, तो भाई ने कहा कि यार तेरी भाभी तो 12th पास है। मैंने कहा भाई ये तो मुस्किल वाली बात है।
भाई बोले कि यार मैं तो जुगाड़ कर लूँगा किसी तरह से लेकिन सोचने वाली बात ये है कि आज हमारी सरकार दुनिया भर के ढोंग कर रही है कि साक्षरता लाओ अपने बच्चो को अच्छी शिक्षा दिलाओ और जाने क्या क्या लेकिन अगर १ अनपढ़ या कम पढ़ा लिखा आदमी अपने बच्चे का दाखिला अच्छे स्कूल में करवाने जाता है तो पहले उसका बायोडाटा देखा जाता है। इसका मतलब तो यही हुआ कि शिक्षा कि भी केटेगरी है। जिनके माता पिता पढ़े लिखे हैं सिर्फ उनके बच्चे ही अच्छे स्कूल में पढ़ सकते हैं, और जिनके अभिभावक नहीं पढ़े या कम पढ़े हैं उनके बच्चे भी वैसे ही दोयम दर्जे की पढाई करें या फिर अनपढ़ बने रहे।
मैंने कहा भैया गोली मारो यार अपने सोनू का तो दाखिला हो ही जाऐगा ना, दुनिया कि छोड़ो, मैं फिर भाई के पास से निकल गया और बस स्टॉप आ गया, वापस अपने फ्लैट आने के लिए बस का इंतजार करने लगा और मन में ये सोच रहा था कि मैंने जो स्नातक की पढाई आखरी साल में छोड़ दी थी उसको किसी भी तरह पूरा करना है ताकि कम से कम मेरा बच्चा तो पब्लिक स्कूल में जा सके।
3 comments:
सही सोचा..समय रहते पूरा कर ही लें..समय की मांग है.
गणतंत्र दिवस पर आपको हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें!
वाह बहुत बढ़िया लिखा है आपने! पढ़कर बहुत अच्छा लगा! मेरा तो ये मानना है कि किसी भी काम को अधूरा नहीं रखना चाहिए बल्कि उसे सही समय पर करना ही उचित है!
mind blowing..... awesome.... keep going on this way silently... I m sure that the success will be behind u....
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