देवेश प्रताप
शमा और परवाना एक दूसरे से अपने भावों को व्यक्त करते हुए कहते है .....
शमा कहती है
जलने दो मुझे
अकेले इस विरह में
तुम यूँ ने मेरे पास
आया करो,
परवाना कहता है
तुम्हारे इस प्यार पर
प्रिय ,मैं मिलने के
लिए मचल जाता हूं ,
बिखर जाती हूँ
तेरा प्यार पा कर,
तेरे छुअन से मैं
परवाना
तेरे आगोश में
आकार मै खो जाता हूं
जन्नत तेरे प्यार में पा
जाता हूं
शमा
ए परवाने
ये शमा तेरे लिए ही
रोशन होती है ,
तेरे प्यार में जलकर
इस जहां को रोशन करती है ॥
9 comments:
परवाना तेरे आगोश में आकार मै खो जाता हूं जन्नत तेरे प्यार में पा जाता हूं
समां ए परवाने ये समां तेरे लिए ही रोशन होती है , तेरे प्यार में जलकर इस जहां को रोशन करती है
खासकर इन पंक्तियों ने रचना को एक अलग ही ऊँचाइयों पर पहुंचा दिया है शब्द नहीं हैं इनकी तारीफ के लिए मेरे पास...बहुत सुन्दर..
ab ye bhi bta do devesh bhai ke ye shamma or parwana hai kon-kon...?
badhiya prastuti...
kunwar ji,
देवेश जी,
शमा और परवाने की मुहब्बत बहुत खूब बयां की है...
एक गुजारिश है कि समां को शमा कर दें...
समां का अर्थ मौसम से लिया जाता है..,आपने गाना भी सुना होगा--
समां है सुहाना सुहाना ...
Waah! bahut sundar rachana.
शमा और परवाना .... बहुत सदियों से इनके प्यार के किससे चल रहे हैं ... बहुत अच्छा लिखा है आपने भी ...
परवाना एक पल में देता है जान,
शमा जलती है देर रात तक।
Tq I am aunderstand☺☺☺
शमा जल रही है तो इस परवाने का क्या जाता है,
बड़ी आसानी से कह दिया दुनिया ने इस दिवाने का क्या जाता है,
एक आशिक रोता है पूरी जिंदगी मोहब्बत में,
चला गया मेरा महबूब इस ज़माने का क्या जाता है
Sir ye shama aur parvane ka matlab kya hai
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