March 26, 2010

शमा और परवाना ......

देवेश प्रताप

शमा और परवाना एक दूसरे से अपने भावों को व्यक्त करते हुए कहते है .....


शमा कहती है

जलने दो मुझे

अकेले इस विरह में

तुम यूँ ने मेरे पास

आया करो,


परवाना कहता है

तुम्हारे इस प्यार पर

प्रिय ,मैं मिलने के

लिए मचल जाता हूं ,


बिखर जाती हूँ

तेरा प्यार पा कर,

तेरे छुअन से मैं

पिघल जाती हूं,


परवाना

तेरे आगोश में

आकार मै खो जाता हूं

जन्नत तेरे प्यार में पा

जाता हूं


शमा

ए परवाने

ये शमा तेरे लिए ही

रोशन होती है ,

तेरे प्यार में जलकर

इस जहां को रोशन करती है ॥

9 comments:

संजय भास्‍कर said...

परवाना तेरे आगोश में आकार मै खो जाता हूं जन्नत तेरे प्यार में पा जाता हूं
समां ए परवाने ये समां तेरे लिए ही रोशन होती है , तेरे प्यार में जलकर इस जहां को रोशन करती है


खासकर इन पंक्तियों ने रचना को एक अलग ही ऊँचाइयों पर पहुंचा दिया है शब्द नहीं हैं इनकी तारीफ के लिए मेरे पास...बहुत सुन्दर..

kunwarji's said...

ab ye bhi bta do devesh bhai ke ye shamma or parwana hai kon-kon...?


badhiya prastuti...

kunwar ji,

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

देवेश जी,

शमा और परवाने की मुहब्बत बहुत खूब बयां की है...

एक गुजारिश है कि समां को शमा कर दें...

समां का अर्थ मौसम से लिया जाता है..,आपने गाना भी सुना होगा--
समां है सुहाना सुहाना ...

रानीविशाल said...

Waah! bahut sundar rachana.

दिगम्बर नासवा said...

शमा और परवाना .... बहुत सदियों से इनके प्यार के किससे चल रहे हैं ... बहुत अच्छा लिखा है आपने भी ...

Kulwant Happy said...

परवाना एक पल में देता है जान,
शमा जलती है देर रात तक।

Unknown said...

Tq I am aunderstand☺☺☺

Unknown said...

शमा जल रही है तो इस परवाने का क्या जाता है,
बड़ी आसानी से कह दिया दुनिया ने इस दिवाने का क्या जाता है,
एक आशिक रोता है पूरी जिंदगी मोहब्बत में,
चला गया मेरा महबूब इस ज़माने का क्या जाता है

Unknown said...

Sir ye shama aur parvane ka matlab kya hai

एक नज़र इधर भी

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