देवेश प्रताप
(ये दृश्य मेरे घर के ठीक सामने का है )
विद्यालय में परीक्षा ख़त्म होने के बाद ५ मार्च को घर (प्रतापगढ़ ) चले गए थे , परीक्षा कि वजह से होली में घर जाना संभव नहीं हो पाया था .......इसलिए जैसे ही परीक्षा ख़त्म हुई .....वैसे घर को चले गए ........लेकिन इस बीच आप सभी ब्लोगर्स कि बहुत याद आई ........अब इतनी अच्छी अच्छी रचनाये पढने कि आदत जो पड़ गयी है । गाँव जाकर बहुत सुकून मिलता है ऐसा लगता है जैसे यहाँ के जैसे सुख-शांति और कही नहीं .......खैर अब वापस आगया हूँ अब इत्मीनान से सारी पोस्टे पढूंगा जो ...........मेरी अनुपस्थिति में लिखी गयी है .......आप सब ने लगातार विचारों का दर्पण पर विचरण जारी रखा ............आप सब इसी तरह हम सब को राह दिखाते रहे ........और अपने विचार प्रकट करते रहें .......बहुत बहुत धन्यवाद .
11 comments:
गाँव तो गाँव है
स्वागत है
आपका स्वागत है पुन: ब्लाग पर। आप गाँव के संस्मरण ही लिख दें। हम भी जान ले कि आपका गाँव कैसा है? क्या कभी वहाँ ब्लागर मीट हो सकती है?
भाई मैं भी गाँव जा रहा हूँ ।
तस्वीर से ही लग रहा है कि तुम्हारा गाँव बहुत सुन्दर है अब तो अपना भी मन उसे देखने का हो रहा है। गुपता जी सही कह रही हैं । सोचो उनकी बात पर। शुभकामनायें
...पांच-सात दिनों के लिये मुझे भी जाना है इंटर्नेट के बिना कैसे गुजारा होगा यही सोच रहा हूं!!!!!
Wapas aaya dekh khushi hui Vikas bhai.. ummeed hai gaanv se kuchh saundhe sansmaran laye hoge..
आप हमारे दिल में रहेंगे!
आओ भाई..हमें भी बड़ी याद आई.
hame bhee kuch naya padne ko milega gaon ke bare me...............
shubhkamnae........
भाई वाह आप तो लकी हो जो गाव घूम आये...स्वाग्त हॆ..
तुम्हारा गाँव बहुत सुन्दर है अब तो अपना भी मन उसे देखने का हो रहा है।
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