March 21, 2010

परीक्षा या 'आई पी यल' ???????

देवेश प्रताप

मार्च से लेकर अप्रैल तक विद्यालय से लेकर महा विधालय तक परीक्षाओं कि बहार रहती है । साल भर बच्चो द्वारा कि गयी मेहनत का प्रयोग परीक्षाओं में होता है । आई पी यल (इंडियन प्रीमियर लीग ) कि धूम मची है सुबह से लेकर शाम तक लोगों कि जुबान पर आई पी यल के ही चर्चे रहते है। इस बहार में सबसे जायदा नुक्सान उनका हो रहा है जिनकी परीक्षा चल रही है या होने वाली है . .......वो बेचारे करें भी तो क्या करें खेल भी देखना ज़रूरी है और परीक्षा देना भी ज़रूरी है ..........खेल और परीक्षा दोनों समय के बाध्य है . क्यूंकि ये वक्त कभी लौट के नहीं आएगा ........खेल दुबारा भी होंगे लकिन शायद ये आनंद न रहे परीक्षा दुबारा भी होगी लेकिन तब तक बहुत कुछ छूट चुका होगा । बच्चे मजधार में हैं करें भी तो क्या करें क्रिकेट देखे या परीक्षा के लिए तैयारी करें ............मेरी तरह शायद बहुत कम ही लोग होंगे जो क्रिकेट जैसे खेल से दूरी पसंद करते होंगे . .......अभिभावक भी परेशान नजर आते हैं। लेकिन वो भी क्या करें बच्चे से कही ज्यदा उन्हें भी दिलचस्पी है क्रिकट देखने में .......... फिलहाल पढ़ने वालों के लिए कही भी किसी से कोई बाधा उत्पन्न नहीं होती ......लेकिन पेट कितना भी भरा हो सामने रसगुल्ला रखा हो तो खाने का मन ज़रूर करता है ......यदि उस समय ये सोच के अपने मन को रोके के अभी नहीं खायेंगे बाद में खा लेंगे तब भी मन उसी रसगुल्ले पर ही अटका रहेगा .........क्रिकेट के साथ भी यही है यदि क्रिकेट टीवी पर चल रहा हो तो कोई कैसे अपने आप को रोक ले ...........अगर मैं ये कहू कि आई पी यल जैसे मनोरंजक और दिलचस्प खेल परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए थोडा आगे पीछा करना चाहिए तो .....तो लोग मुझे पागल कहेंगे ‘’भला आई पी यल के लिए खरबो रूपये कि बात है ऐसे थोड़ी न होता है .........अब परीक्षा तो होती ही रह्ती है .......इससे भला क्या फर्क पड़ने वाला’’ शायद लोग ऐसे ही कुछ कहेंगे ........इसलिए मै भी कुछ नहीं कहूँगा अब जो कहना है आप ही कहिये ....

9 comments:

संजय भास्‍कर said...

ye to bahut kuch bachho par bhi nirbhar karta hai hai ki wo apne exam par dyan dete hai hai ya cricket

संजय भास्‍कर said...

ye to bahut kuch bachho par bhi nirbhar karta hai hai ki wo apne exam par dyan dete hai hai ya cricket

संजय भास्‍कर said...

devesh ji bilkul sahi samya par sahe lekh diya hai

Dev said...
This comment has been removed by the author.
anjani kumar said...

I am really very glad to know that the person who has written this beautiful,educational & social blog, is my friend. Really its make me feel great that i am ur friend.

thanx and ofcourse keep going on ur way .....

Anjani kumar

ओम पुरोहित'कागद' said...

भाई देवेश जी
पाठ्य पुस्तकेँ वर्ष भर पढ़ी हों तो बचपन की स्कूली परीक्षाएं फिर भी सफलता दे देती हैँ मगर आगे के जीवन की परीक्षाओँ का हल किसीत पुस्तक मेँ नहीँ मिलता।जीवन मेँ परीक्षाओँ का कभी अंत नहीँ होता।स्कूली परीक्षाएं उन्ही परीक्षाओँ से आगाह करवाती हैँ शायद !
omkagad.blogspot.com

दीपक 'मशाल' said...

sahi baat.. karen bhi to kya karen??

Dev said...

hi anjani .....thank u very much dear ...aap longo ke husle se main is safar par aage badh raha hun

दिगम्बर नासवा said...

सच कहा है ... पर आज का दौर बाज़ार का है कोई नही समझेगा ..........

एक नज़र इधर भी

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