August 1, 2010

ये दोस्ती .....


देवेश प्रताप

सारे रिश्ते ऊपर से बन कर आते है ,दोस्ती एक ऐसा खूबसूरत रिश्ता जिसे हम ख़ुद बनाते है । आज firendship day है । यूँ तो किसी भी रिश्तों का अहसास दिलाने के लिए किसी विशेष दिन की आवश्यकता नहीं होती । वैसे जिस रिश्ते में स्वार्थ नहीं उससे ज्यादा खूबसूरत रिश्ता कोई नहीं हो सकता । और यही होता है सच्ची दोस्ती में जो सिर्फ दोस्ती को निभाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है । कभी कभी ऐसा भी होता है जब कोई ये सवाल करता है की सबसे अच्छा दोस्त कौन है और शर्त ये की कोई एक ही होना चाहिए , ये बड़ा ही जटिल सवाल होता है । इतनी बड़ी दुनिया में कोई एक ही सबसे अच्छा और करीबी दोस्त कैसे हो सकता है । दोस्त की लिस्ट में कई ऐसे दोस्त होते है जो सबसे ज़्यादा करीब होते है । दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता जिसमें किसी भी शर्त की जगह नहीं होती , पूर्ण रूप से स्वतंत्र होती है । जहाँ भी ये शब्द आता है वहां किसी भी प्रकार की बांधा नहीं रह जाती है , सिर्फ सवतंत्रता रह जाती है । आज के मायने में दोस्ती करना तो आसान होगया है ठीक उसी तरह ....रेत पर 'दोस्त' शब्द लिखना , लेकिन उसे निभाना ' पानी पर दोस्त लिखना ' जैसे होता है । ज़िन्दगी के सफ़र में बहुत से दोस्त बनते है और साथ भी छूटते हैं , ये मिलना और विछ्ड़ना यही तो ज़िन्दगी की नियति है । इस दिन के लिए आप सब को हमारे तरफ से ढेर सारी बंधाई ।

8 comments:

निर्मला कपिला said...

aआपको भी ढेरों बधाईया। शुभकामनायें

संजय भास्‍कर said...

आप को इस दिन पर ढेर सारी बधाई और प्यार !!

संजय भास्‍कर said...

dosti par ek sher pes hai..

मन में आपके हर बात रहेगी
बस्ती छोटी है मगर आबाद रहेगी
चाहे हम भुला दे ज़माने को
मगर ये प्यारी सी दोस्ती हमेशा याद रहेगी

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

अच्छा लेख ...आपको भी बधाई

kshama said...

Dosti ki zindagi amaratv paa le yahi dua hai!

कविता रावत said...

आज के मायने में दोस्ती करना तो आसान होगया है ठीक उसी तरह ....रेत पर 'दोस्त' शब्द लिखना , लेकिन उसे निभाना ' पानी पर दोस्त लिखना ' जैसे होता है । ज़िन्दगी के सफ़र में बहुत से दोस्त बनते है और साथ भी छूटते हैं , ये मिलना और विछ्ड़ना यही तो ज़िन्दगी की नियति है । ....Dosti ko nibhana aa gaya to jindagi sawar jaati hai. aasan ho jati hai rahen.. bahut achhi prasuti
आपको भी हमारी तरफ से ढेर सारी बंधाई ।

1st choice said...

jhamaajham.

अविनाश वाचस्पति said...

इसमें आधा आखर और मिलाओ
दोस्‍ती को प्‍यार बनाओ


चार दिन की जिंदगानी जिसमें ढाई आखर प्‍यार के

एक नज़र इधर भी

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