August 2, 2010

ये भी दिल्ली का एक हिस्सा है ????

देवेश प्रताप

दिल्ली में दो दिन से मौसम मेहरबान है .......बारिश भी झमाझम हो रही है मौसम का आनंद दिल्ली वासी ले रहे हैं लेकिन कॉमन वेल्थ खेल के तैयारी वाले शायद थोडा सी निराशा हो रही हो क्यूंकि दिन रात चल रहे काम में बांधापड़ रही है फिर भी कार्य प्रगति पर है। हम चाहते भी है की खेल के पहले दिल्ली दुल्हन की तरह सज के तैयार हो जाये लेकिन इस सजवाट में क्या केवल वही तक ध्यान दिया जा रहा है जहां तक खेल का सम्बन्ध है कल शाम में दिल्ली के खानपुर एरिया में एक काम से जाना हुआ है जैसे ही हम रोड से थोडा अन्दर की तरफ बढे ....तो विश्वास ही नहीं हुआ की ये भी दिल्ली का हिस्सा है जगह -जगह पानी भरा था और पानी इस तरह भरा था जो निकलने का कही से रास्ता नज़र नहीं रहा था खैर हम अपना काम निपटा कर वह से निकलने ही वाले थे की बारिश मेहरबान होगयी हम भी रुक गए , कि बारिश थोड़ी धीमी हो जाये या रुक जाये तब निकले कुछ ही देर बाद बारिश धीमी हो गयी ....मै और मेरे मित्र आपस में बात करने लगे ''की इतनी बारिश में निकलते है ...नहीं तो तेज हो गयी तो भीग ही जायेंगे '' बगल में एक खड़े व्यक्ति ने कहा ...''हां निकल जाईये वरना यहाँ इनता पानी भर जायेगा की रास्ता नज़र नहीं आएगा '' ये सुनकर थोडा अजीब लगा जैसे ही आगे बढ़ा की बारिश तेज हो गयी और फिर हम लोग बाइक किनारे लगा कर खड़े हो गए ......देखते ही देखते रास्ता कब पानी की आगोश में खो गया पाता ही नहीं चला यह हाल देख कर ये लगा की इसकी फ़िक्र सरकार क्यूँ करे क्यूंकि इस रास्ते कभी कोई मिनिस्टर गुजरेगा कोई सेलेब्रिटी .....तो ऐसे जगह सरकार फ़ालतू में क्यूँ पैसा खर्च करे वहाँ से तो केवल आम आदमी गुजरेगा और आम आदमी को लिए किसी भी व्यस्था की ज़रुरत नहीं होती

13 comments:

kshama said...

Ooonh!!Wo na samajhe hain na samjhenge kabhi..

anoop joshi said...

bahut khoob

अन्तर सोहिल said...

"आम आदमी को लिए किसी भी व्यस्था की ज़रुरत नहीं होती।"

सही कहा जी आपने

प्रणाम

Urmi said...

बहुत बढ़िया और बिलकुल सही लिखा है आपने! उम्दा पोस्ट!
मित्रता दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!

Pushpendra Singh "Pushp" said...

badhiya rachna ke liye
abhar

shama said...

Kya kahun?Afsos hota hai padhke...

sanu shukla said...

sahi kaha hai apne...

विनोद कुमार पांडेय said...

सारी व्यवस्थाएँ तो खास लोगो के लिए होती है..आम आदमी के लिए कुछ ज़रूरत नही...बढ़िया आलेख...धन्यवाद

संजय भास्‍कर said...

बढ़िया आलेख...धन्यवाद

पूनम श्रीवास्तव said...

devesh ji,aapne bilkul sach kaha.ab aam aadmi ki fikar sarkar kyon kare.in choti choti samasyaon ko hal karne ke liye sarkar thodi bani hai?
poonam

IMAGINEERS INFO MEDIA said...

You r right bro..... I appreciate ur thoughts. Trust me i m ur big admire .

Keep it up.

Apanatva said...

har shahar ke ye hee haal hai.........road tax ka ikattha paisa kanha jata hai pataa hee nahee chalta........

aur aam aadmee kee awaz sunne wala hai koun...?

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

खानपुर.... बदरपुर से महरौली जाते हुए जो पड़ता है! है ना?
पास ही में साकेत देखते देवेश, वहां पर बारिश में नही हुई चमकती सडकें नज़र आती, भरा हुआ पानी नहीं!
सड़क-सड़क की किस्मत है भैय्या!
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फिल्लौर फ़िल्म फेस्टिवल!!!!!

एक नज़र इधर भी

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