देवेश प्रताप
बदल देंगे इतिहास
ये हुंकार भरते हैं ॥
ये जनता की है आवाज
जिससे हुकमत संवरती है ।
बहुत हो गया जुल्म
अब हम नहीं सहेंगे ॥
मांग के देखो घूंस
तुम्हे हम होश में लायेंगे ॥
शर्त इतनी है ये इरादा न बदले
ये बदलाव का सूरज शाम को न डूबे ॥
14 comments:
agar hum na badle to suraj parivartan ka chamkega
परिवर्तन अवश्यम्भावी है. बढ़िया लिखा है.
बिलकुल सामयिक और प्रासंगिक प्रस्तुति है.
यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो कृपया मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक आलेख हेतु पढ़ें
अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html
सामयिक और प्रासंगिक प्रस्तुति, आभार.....
परिवर्तन अवश्यम्भावी है.........
परिवर्तन शास्वत सत्य है और आवश्यक भी |
बहुत अच्छी पंक्तियाँ |
बधाई |
आशा
चर्चा में आज आपकी एक रचना नई पुरानी हलचल
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नई पुरानी हलचल से चलकर आपके ब्लॉग पर आया हूँ.सुन्दर भावपूर्ण प्रेरक प्रस्तुति है आपकी.
अन्ना जी की सफलता के लिए बधाई.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
यही जज़्बा रहना चाहिए
बहुत सुन्दर लिखा है आपने ! परिवर्तन लाना बहुत आवश्यक है! आपकी लेखनी को सलाम! बेहतरीन प्रस्तुती!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
devesh ji
bahut hi josh purn v utsaah vardhak post lagi aapki
bahut hi sahi kaha hai aapne
शर्त इतनी है ये इरादा न बदले
ये बदलाव का सूरज शाम को न डूबे
jab iraade pakke hote hain tabhi kamyabi hasil hoti hai .
bahut bahut badhi
poonam
bahut saarthak likha hai, shubhkaamnaayen.
priye bhai devesh jee aapki is sundar rachna ke liye badhai.
आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
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