August 21, 2011

हर इंसान भ्रष्ट है

देवेश प्रताप

भारत की जनता अब त्रस्त हो चुकी है भ्रष्टाचार से ......इस भ्रष्टाचार के खिलाफ छिड़ी मुहिम में प्रत्येक वो व्यक्ति शामिल है ...जो आज तक भ्रष्टाचार का शिकार हुआ है ...और जो करता आया है ..सिर्फ चन्द नेताओं को छोड़ कर . जो भ्रष्टाचार का शिकार है ..उसका शामिल होना तो स्वभाभिक है .....लेकिन वो जो करता आया है वो भी त्रस्त हो गया है ......किसी कर्मचारी ने कुछ पैसे लेके फ़ाइल आगे बढाई है ...तो वही कर्मचारी अपने बेटे का अच्छे स्कूल में प्रवेश कराने के लिए डोनेसन देता है . उस स्कूल के प्रबंधक ने स्कूल को मान्यता प्राप्त करने के लिए सम्बंधित संस्था को पैसा खिलया होगा .......स्वभाविक तौर पर अंत में चक्कर काट कर घूसखोरी की रकम किसी नेता की झोली में गिरा होगा .......फलस्वरूप उस कर्मचारी ने पैसा खाया क्यूंकि उसको अपने बेटे को अच्छे स्कूल में प्रवेश दिलाना था ......स्कूल के तरफ से डोनेसन इस लिए लिया गया क्यूंकि उसने स्कूल की मान्यता प्राप्त करने में पैसे खर्च किए थे .......सम्बंधित संस्था ने पैसा खाया क्यूंकि उसे मिनिस्ट्री में पैकेट के साथ हाजरी लगानी होती है . तो ऐसे शुरू होता है भ्रस्टा चार की कड़ी ..............लेकिन ज़रा गौर कीजिये वो व्यक्ति जिसने कर्मचारी को पैसा खिलया वो कौन था .....वो एक गरीब लाचार और असहाय बाप था ..जिसे अपने बेटे के मृत्युप्रमाणपत्र बनवाना था . यदि वो पैसे न देता तो मृत्य प्रमाणपत्र न बनता ........प्रमाण पत्र न बनता तो .......जिस ईमारत के निर्माण में मजदूरी करते समय कच्ची छत गिरने से मौत हुई थी .........जिसके लिए सरकार की तरफ से कुछ मुवाजा मिलना था.......तो शायद वो न मिलता .........यदि मुवाजा न मिलता ...तो शायद अखबार के किसी कोने में एक खबर छपती ....'कर्ज में डूबा एक परिवार के चार सदस्य जहर खाकर आत्म हत्या कर ली' .शायद इसलिए हर इंसान भ्रष्ट है ........और अब त्रस्त है .

7 comments:

!!अक्षय-मन!! said...

haan kahin na kahin kisi na kisi mod par ye baat jarur sahi ho jati hai...well sundar bhavpurn shabdon main apni baat kahi accha laga aapka ye lekh...

डॉ. मोनिका शर्मा said...

हम माने या न माने भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी हैं......सिर्फ बिल पास होना ही काफी नहीं बदलाव के लिए....हमरी सोच में परिवर्तन आना चहिए....

रचना दीक्षित said...

अगर भ्रष्टाचार मिटाना है तो हमें अपनी व लोगों कि सोच भी बदलनी होगी

डॉ. जेन्नी शबनम said...

बिलकुल सही कहा, भ्रष्टाचार ऐसे हीं पनपा है और इसकी जड़ आज की नयी बात नहीं. जाने कब से ये सब शुरू हुआ होगा और अब विकराल रूप ले चूका है. हर आदमी अपनी सुविधा के लिए जुगाड़ करता है और यही जुगाड़ भ्रष्ट होने की शुरुआत है लेकिन इसके बिना कोई उपाय भी नहीं. शायद इस अन्ना आन्दोलन से कुछ लोग चेते.

Satish Saxena said...

यह जन्माष्टमी देश के लिए और आपको शुभ हो !

Urmi said...

आपको एवं आपके परिवार को जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
सही मुद्दे को लेकर आपने बहुत बढ़िया लिखा है! भ्रष्टाचार ख़त्म करने के लिए हम सबको अपनी सोच बदलना होगा और एकता कायम रखना होगा!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

KALAM KI JEET said...

देवेस बिचारो का दर्पण बलाग बहुत दिल को छुने वाला बलाग लगा . हम आपकी बलाग्की सराहना करते है कलम की जीत (साप्ताहिक समाचार पत्र ) क सी झा ;८८००५१०३३२.९९१०३७३४८१

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