August 8, 2011

इनकार किया करते हैं....

देवेश प्रताप

जब कांच का घर था
तो लोग पत्थर मारा करते थे
आज पत्थर का घर है !
तो लोग कांच से वार किया करते है !!

जब उनके शहर से दूर था
तब वो मिलने के लिए तरसते थे
आज उनके दरवाजे पे खड़ा हूँ !
अब वो पहचानने से इनकार किया करते है !!

5 comments:

संजय भास्‍कर said...

अभिव्यक्ति जो दिल को छू गई .

संजय भास्‍कर said...

भावमय करते शब्‍दों के साथ गजब का लेखन ...आभार ।

Urmi said...

वाह! बहुत खूब लिखा है आपने! सच्चाई को आपने बड़े ही सुन्दरता से शब्दों में पिरोया है !

Asha Lata Saxena said...

सहज शब्दों मैं सुन्दर भाव |बधाई
आशा

डॉ. मोनिका शर्मा said...

जब कांच का घर था
तो लोग पत्थर मारा करते थे
आज पत्थर का घर है !
तो लोग कांच से वार किया करते है !!

बहुत खूब ...

एक नज़र इधर भी

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