सरकारी दफ्तर में किसी भी काम को लेट लतीफ़ करने का एक चलन बनगया है । आप कितनी भी जल्दी में हो कितनी भी परेशानी में हो इस बात को सरकारी कर्मचारी नहीं समझेंगे कुछ अपवाद को छोड़ कर । अभी २ दिन पहले कि बात है । मेरे एक मित्र को फिल्म शूटिंग कि लिए नॉएडा में अनुमति चाहिए थी । इस काम के लिए हम लोग सिटी magistrate के पास गए । वहाँ पर मौजूद एक मुन्सी ने कहा ''आप प्रार्थना पत्र छोड़ जाइये हम इसे आगे बढ़ा देंगे लेकिन समय लगेगा '' मेरे मित्र विकास ने कहा ''हम लोग के पास भी ज़यादा समय नहीं और नहीं इतनी बड़ी फिल्म बनाने जा रहे जिसके लिए इतना व्यस्था चाहिए ...... हम magistrate शाहब से मिलवा दीजिये हम ख़ुद अनुमति लेलेंगे ''
हम लोग अन्दर गए और magistrate से बात किये .......उन्होंने कहा ''हो जायेगा और जिस डेट को आप लोग चाह रहे लघ भाग उसे डेट को अनुमति मिल जाएगी '' ........मुन्सी ने फिर प्रार्थना पत्र पर सारी फोर्मिल्टी अदा किया और हाथो हाथ हम लोग को लेटर हाथ में मिल गया ......और उस प्रार्थना पत्र कि फोटो कॉपी और पांच जगह पर देना था .......सबसे पहले हम लोग ग्रेअटर नॉएडा गए entatainment office वहाँ पहुचने पर पाता चला कि 11.30 तक उनका कोई अता पता नहीं .....एक कर्मचारी से जब हमने पूछा ''कि कब तक आयेंगे'' .......तो उन्होंने कहा '' बड़े साहब है कब आये न आये इसका कोई भोरोसा नहीं '' हमने सोचा वाह क्या बात है ......इंसान कि फितरत तो देखिये कुर्सी निचित है इसलिए उन्हें अब किसी कि भी फ़िक्र नहीं । .......वहां से लौटने के बाद नॉएडा सेक्टर 14 gaye 'S.P traffic के पास ...लगभग उस समय वक्त हुआ रहा होगा 12.30 ..उनके भी अभी तक कोई अता - पता नहीं । इसी तरह 'यस पि सिटी , नॉएडा ऑथोरिटी ऑफिसर .....किसी का भी दर्शन नहीं था । ये तो एक दिन का हाल, जो हम लोंगो ने देखा । ऐसे न जाने कितने लोग रोजाना परेशान होते होंगे और ये अफसर तो सोचते होंगे हम तो अब कुर्सी पर है अब तो वही होगा जो हम चाहेंगे । केवल सिटी magistrate के अलवा को अल अफसर अपने दफ्तर पर मौजूद नहीं मिला। ज़रा सोचिये ये सारे अफसर समय के बाध्य होते तो सब के सब अपने दफ्तर में मौजूद होते तो हम लोग का काम एक ही दिन में हो जाता ।
7 comments:
Kya karen??Hamari zehniyat hi aisi hai.Jaise naukri pakkee ho jay,phir in logon ko,chahe wo private sector hi ho,koyi kuchh nahi kar sakta.
Sarkari ya gai sarkari,ek khaas tapqeke mulazimon ka yahi haal hai..
सब सरकारी नौकरी पाते ही सरकारी दामाद बन जाते हैं .....अगर सब इस ओर ध्यान दें तो सच ही दूसरों के समय की बहुत बचत हो सकती है ..
अगर सब इस ओर ध्यान दें तो सच ही दूसरों के समय की बहुत बचत हो सकती है ..
DEVESH BHAI SARKARI AFSAR KEHTE HAI
HUM KABHI NAHI SUDHRENGE....
लाख टके का सवाल पूछा है। हमारे यहाँ तो थम्ब इम्प्रेशन मशीन लगने से सब राइट टाइम हो गये है। वहाँ भी लगवा दें, हो जाएँगे।
पाँच मुँह वाला नाग?
साइंस ब्लॉगिंग पर 5 दिवसीय कार्यशाला।
साहेब का घर चले जाते त काम दू मिनट में हो जाता… अरे सरकारी सहब लोग को बहुत काम रहता है… “अर्जेंट” कमवा सब घरे पर निपटाना पड़ता है बेचारे को अपना पर्सनल टाइम में से टाईम निकालकर...समझा कीजिए, देस सेवा का एतना बड़ा प्रन लिये हैं ऊ लोग, त आप छोटा छोटा काम के लिए बाधा डालते रहते हैं.
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