देवेश प्रताप
ये रचना हमारे सभी शिक्षकों को समर्पित है .....धन्यवाद
माँ ने ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाया
किस राश्ते पर कैसे चलना है वो आपने बतलाया ॥
गीली मिटटी के लोए कि तरह कोई अकार न था
ज्ञान की चाक पर आपने हमारा अकार बनाया ॥
जब भी बहके , जब लडखडाये अपने कदम से
सख्त हो कर आपने हमें सम्भलना सिखाया ॥
हर सवाल कठिन था , हर जवाब मुश्किल था
ज्ञान के प्रकाश हर सवाल का जवाब और हर जवाब को आसां कर समझाया ॥
6 comments:
shikshak divas ke samarpn pr hardik badhaai .akhtar khan akela kota rajssthan
nice..
शिक्षक दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें
shikshak diwas ka awasar par saarthak prastuti ..
shikshak diwas kee aapko bhi haardik shubhkamnayen..
अच्छी रचना.
साधुवाद!
आशीष
--
मैंगो शेक!!!
गीली मिटटी के लोए कि तरह कोई अकार न था
ज्ञान की चाक पर आपने हमारा अकार बनाया ॥
जब भी बहके , जब लडखडाये अपने कदम से
सख्त हो कर आपने हमें सम्भलना सिखाया ॥
Bahut khoob!
Post a Comment