September 5, 2011

शिक्षक दिवस

देवेश प्रताप

ये रचना हमारे सभी शिक्षकों को समर्पित है .....धन्यवाद

माँ ने ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाया
किस राश्ते पर कैसे चलना है वो आपने बतलाया ॥

गीली मिटटी के लोए कि तरह कोई अकार न था
ज्ञान की चाक पर आपने हमारा अकार बनाया ॥

जब भी बहके , जब लडखडाये अपने कदम से
सख्त हो कर आपने हमें सम्भलना सिखाया ॥

हर सवाल कठिन था , हर जवाब मुश्किल था
ज्ञान के प्रकाश हर सवाल का जवाब और हर जवाब को आसां कर समझाया ॥

6 comments:

आपका अख्तर खान अकेला said...

shikshak divas ke samarpn pr hardik badhaai .akhtar khan akela kota rajssthan

Kulwant Happy said...

nice..

संजय भास्‍कर said...

शिक्षक दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें

कविता रावत said...

shikshak diwas ka awasar par saarthak prastuti ..
shikshak diwas kee aapko bhi haardik shubhkamnayen..

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

अच्छी रचना.
साधुवाद!
आशीष
--
मैंगो शेक!!!

shama said...

गीली मिटटी के लोए कि तरह कोई अकार न था
ज्ञान की चाक पर आपने हमारा अकार बनाया ॥

जब भी बहके , जब लडखडाये अपने कदम से
सख्त हो कर आपने हमें सम्भलना सिखाया ॥
Bahut khoob!

एक नज़र इधर भी

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