बदल देंगे इतिहास
ये हुंकार भरते हैं ॥
ये जनता की है आवाज
जिससे हुकमत संवरती है ।
बहुत हो गया जुल्म
अब हम नहीं सहेंगे ॥
मांग के देखो घूंस
तुम्हे हम होश में लायेंगे ॥
शर्त इतनी है ये इरादा न बदले
ये बदलाव का सूरज शाम को न डूबे ॥
अक्सर मन और दिमाग में कुछ विचार चलते रहते है...इन्ही विचारो को शब्द रुपी माला में पिरोने का प्रयास...धन्यवाद

कर भी क्या करलेगी .....तो भ्रष्टाचार फैला कहाँ से ?......आप स्वयं ध्यान दीजिए ....अभी तक जितने भ्रष्टाचार के मामले उभरे हैं .........और उस मामले की जितने भी आरोपी है .......वो बेचारे कहा भ्रष्ट है .....वो तो सरकार से दुहाई लगा रहे ......की ''मैंने किया क्या है ....बस देश के पैसे को अपना समझ कर बैंको में इकठ्ठा कर लिया .....अब इसमें मेरी क्या गलती '' ............बिलकुल सही कहना है इनका ......बेवजह बेचारों को जेल भेज दिया है ......हलाकि जेल एकदम पांचसितारा होटल की तरह तो तकलीफ कोई बात नहीं है ..........अब आपने २०० -३०० रु की चोरी थोड़ी न की है की पाँव में बेड़ियाँ जड़ी हो ....... common wealth खेल की CAG रिपोर्ट आई तो विपछ के नेता तो पीछे ही पड़ गए ....शीला दीक्षित जी को कुर्सी से उतारने के लिए ......अरे भाई इतनी उम्र होगयी है कुछ अपने भविष्य का भी ख्याल रखेंगी की नहीं ....या सिर्फ देश के बारे में सोचती रहेंगी ..........अब रख लिए होंगे कुछ पैसे जमा करके ......अब विपछ से ही पूछिए के उनको अगर मौका मिला होता तो क्या वो .....दो -चार इधर -उधर न किए होते .........हम तो कहते है जाने दीजिए क्यों बुढ़ापे में लोग उन्हें परेशान कर रहें हैं ........... भ्रस्टाचार करने वालों को 'भ्रष्ट रहो वरिष्ठ रहो '' का नारा लगाना चाहिए हमें तो लगता ....अब बड़े बड़े दिगज्जों के बीच ये होड़ लगी होगी किसने कितना बड़ा घोटाला किया .....किसने कितने पैसों को गबन किया ??
दिन नहीं होता ! यहाँ हर रात हर सुबह दोस्तों के बिना नहीं होती एक वास्तविकता होती है... बचपन में बच्चा अपने माँ -बाप की ऊँगली छोड़ पहला हाथ दोस्ती का पकड़ता है ! कहते है हर रिश्ते की डोर पहले से बन कर आती है , लेकिन इस दोस्ती के रिश्ते क़ी डोर हम ख़ुद बनाते है यूँ तो ज़िन्दगी के सफ़र में बहुत से दोस्त मिलते है और बिछड़ जाते हैं .....ये कारवां यूँ चलता रहता है ........लेकिन इस सफ़र में कुछ ऐसे दोस्त बन जाते हैं जो हमेशा के लिए दिलों में बस जाते हैं !