अक्सर ऐसे फारवर्डड मैसेज आते है कि "इस मैसेज
को दस लोगों को फारवर्डड करके देखिए आपके जीवन में तुरन्त खुशियाँ आएगी
.....यदि इसे डिलीट किया तो आपके साथ अनहोनी हो जायेगी" मै समझ नहीं पाता
ऐसे मैसेज निर्मित कौन करता है ..वो भी भगवान के नाम पर ...ऐसा कौन इंसान
होगा जो अपनी ज़िंदगी में खुशियों के बजाय दुःख झेलना चाहेगा ....ऐसा मैसेज
आने के बाद ऐसा प्रतीत होता है ...सर पे किसी ने आस्था के नाम कि बन्दूक लग
ा
दी हो और बोल रहा हो ऐसा कर नहीं तो मर ....मरता क्या ना करता ...जीवन
किसे नहीं प्यारा ....दस लोगों को मैसेज फारवर्डड कर दिया अब उसके सर से
बोझ हटा अब अगला झेले ...लेकिन ये सब आस्था के नाम पे क्यूँ ...क्या भगवान
भी डरा डरा के अपने समर्थक बढ़ाते हैं | हाल ही में आयी एक हिंदी फिल्म "oh
my god" आस्था के नाम पर मची लूट खसोट का जबर्दस्त विवरण है ....इस फिल्म
में ये साफ़ दर्शाया गया है भगवान को लोग प्रेम से नहीं डर से मानते हैं |
हालाँकि फिल्म अपने उद्देश्य में खरी उतरी कि भगवान को डर से नहीं प्रेम से
मानो....ये तो फिल्म कि बात रही | लेकिन असल ज़िंदगी में भी ये बात खरी
उतरती है | हमें भगवान से डर है प्रेम नहीं ||
4 comments:
सार्थक पोस्ट
बेहतर लेखन !!
kuldeep singh जी पुरानी हलचल पर लिंक प्रस्तुत करने के लिए बहुत बहुत आभार ...
हम तो पढ़ कर डिलीट कर देते है ,मैं तो परेशां हो ही जाती हूँ वही परेशानी किसी और को क्यों दे ,जो बिगडना है मेरा बिगड़ जाए ..:)
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