April 14, 2010

मोहब्बत .......

देवेश प्रताप

मोहब्बत के अहसासों से
अधुरा
था मै
एक
हवा के झोके ने हमें ,
दास्तानेमुहब्बत सुनाई

अहसासों
के सरोवर में मोहब्बत
का
कमल खिलने लगे
मै पवन वो नदी बनकर साथ मचलने
लगे

प्यार कि कस्ती पर
हम
दोनों सवार
होगये
पतवार फेक कर दुनिया
जहाँ
से बेपरवाह हो गये ॥

जाना
था बहुत दूर ,
पर वक्त ने रोक लिया
सड़क
के दो किनारे कि तरह ,
जीने
के लिए छोड़ दिया

मुहब्बत आज भी है , कल भी रहेगी ये हम और वो जानते है
तड़प हम में भी है , तड़प उन में भी है ये सिर्फ ख़ुदा जानते है

22 comments:

Urmi said...

अहसासों के सरोवर में मोहब्बत
का कमल खिलने लगा ।
मै पवन वो नदी बनकर साथ मचलने लगे ॥
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! आपने बेहद ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है! प्यार में डूबी हुई इस भावपूर्ण और उम्दा रचना के लिए बधाई!

kunwarji's said...

bahut badhiya...!
ehsaso ko adhuraapan bakhubi bayaan kiya bhai tumne...


kunwar ji,

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

एहसासों को खूब शब्द दिए हैं...अच्छी भावाभिव्यक्ति

Amitraghat said...

बढ़िया लिखा.........."

Sadhana Vaid said...

कोमल अनुभूतियों की बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति ! बधाई एवं शुभकामनायें !

संजय भास्‍कर said...

एहसासों को खूब शब्द दिए हैं...अच्छी भावाभिव्यक्ति

संजय भास्‍कर said...

किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।

सम्वेदना के स्वर said...

देवेश जी, आपकी भावनाओं का सम्मान करते हुए, कुछ सलाह इस रचना की सुंदरता में वृद्धि के लिए. “मुहब्बते दास्ताँ सुनाया” नहीं “दास्तानेमुहब्बत सुनाई” सही है. “कमल खिलने लगा” को अगली पंक्ति के साथ मिलाकर “कमल खिलने लगे” लिख सकते हैं.
अच्छी अभिव्यक्ति है विरह वेदना की. नदी के दो किनारों की प्राचीन उपमा को छोड़कर आपने सड़क के दो किनारों की उपमा अच्छी दी है..

Dev said...

सलिल जी ......गलती से अवगत कराने के लिए ...बहुत बहुत धन्यवाद .......आपके द्वारा ध्यान कराइ गयी गलती को सुधार दिया है ........आशा करता हूँ इसी तरह ....राह दिखाते रहंगे ......एक बार फिर से आपका शुक्रिया अदा करता हूँ .

कडुवासच said...

मुहब्बत आज भी है , कल भी रहेगी ये हम और वो जानते है ।
तड़प हम में भी है , तड़प उन में भी है ये सिर्फ ख़ुदा जानते है ॥
... बहुत खूब !!!

सम्वेदना के स्वर said...

देवेश जी!
न कोई ग़लती करता है, न कोई सिखाता है... यह सब सीखने की निरंतर प्रक्रिया के पड़ाव हैं... एक और बात मुझसे जुड़े हैं तो प्रशंसा के साथ साथ आलोचना के लिये भी तैयार रहिएगा... और ऐसी ही मैं आपसे भी आशा करता हूँ... सच पूछिए तो आपने आज ब्लोगधर्मिता को एक नया अर्थ दिया है... दो तरफा सम्वाद को जन्म देकर... प्रतिक्रिया देकर फॉर्मेलिटी नहीं निभाते हम..उसका असर देखते हैं... ऋणी बना लिया आपने हमें...ज़िम्मेदारी देकर... ईश्वर आपको सदा सफलता दे..

Ramesh Maurya said...

मोहब्बत मे मिलन और जुदाई को आप ने बहुत ही सुंदर तरिके से पेश किया है.

कविता रावत said...

मुहब्बत आज भी है , कल भी रहेगी ये हम और वो जानते है ।
तड़प हम में भी है , तड़प उन में भी है ये सिर्फ ख़ुदा जानते है ॥
....prem ki bhavpur abhivyakti....

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब ... प्रेम की भावनात्मक अभिव्यक्ति ....

रचना दीक्षित said...

अच्छी भावाभिव्यक्ति,बहुत खूब ... प्रेम की भावनात्मक अभिव्यक्ति ....

अंजना said...

अच्छी रचना...

अरुणेश मिश्र said...

देवेश ! लिखते रहो ।

Akshitaa (Pakhi) said...

आपकी रचना मुझे भी पसंद आई.
______________
'पाखी की दुनिया' में इस बार माउन्ट हैरियट की सैर करना न भूलें !!

kshama said...

मोहब्बत के अहसासों से
अधुरा था मै ।
एक हवा के झोके ने हमें ,
दास्तानेमुहब्बत सुनाई॥
Bahut khoob!

Parul kanani said...

bahut badhiya!

Dimple Maheshwari said...

जय श्री कृष्ण...अति सुन्दर....बहुत खूब....बड़े खुबसूरत तरीके से भावों को पिरोया हैं...| हमारी और से बधाई स्वीकार करें..

ekal !!! ek awaaz said...

hi sir i m sandip dubey
good very good
muhabbat k liye

एक नज़र इधर भी

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