भारत की राजधानी दिल्ली, जिसकी महिला मुख्यमंत्री ...उसी राज्य में ..आये दिन महिलाओं के साथ बलात्कार छेड़छाड़ के मामले सबसे ज़्यादा हैं | बड़े दुःख की बात है ...अपराधी कहीं ना कहीं इतने बेकौफ हैं कि कानून और सरकार को अपनी चुटकी में लेकर अपराध को अंजाम देते हैं...| चलती बस में रेप की खबर न्यूज़ पेपर से लाकर न्यूज़ चैनल तक .....ब्लॉग से लेकर फ.बी के हर पेज़ तक इसकी चर्चा रही ....लेकिन सवाल सिर्फ चिल्लान
े तक नहीं ....सवाल ये है ,ये हादसे कब तक राजधानी को शर्मसार करते रहेंगे ? आज हंगामा कल फ़िर सब शांत होंगे .....अगर इस हंगामे का कोई अंजाम होता तो इस राजधानी में 2012 oct. तक रेप के 580(नेशनल दुनिया न्यूज़ पेपर के अनुसार ) मामले ना होते | ऐसे हादसे जब होते हैं तब मुख्यमंत्री के दफ्तर से लेकर संसद तक शोर होता हैं ....और फ़िर जैसे जैसे वक्त गुजरता है ....शोर की गूंज धीमी हो जाती हैं |
क्या बीत रही होगी उस पीड़ित बेटी के माँ - बाप पर जो जिंदगी से लड़ रही है ....क्या बीत रही होगी उस लड़की के दोस्त पर जो अपनी पूरी ताकत लगाकर चलती बस में ...उन दरिंदों से बचा नहीं पाया | ये सोचने के बाद दिमाग में यही आता है ऐसे अपराध को अंजाम देने वालों को सरे - आम फांसी दे देनी चाहिए | जिससे फ़िर कभी कोई अपराधी ऐसा अपराध करने से पहले अपने मौत को निश्चित कर लें |
क्या बीत रही होगी उस पीड़ित बेटी के माँ - बाप पर जो जिंदगी से लड़ रही है ....क्या बीत रही होगी उस लड़की के दोस्त पर जो अपनी पूरी ताकत लगाकर चलती बस में ...उन दरिंदों से बचा नहीं पाया | ये सोचने के बाद दिमाग में यही आता है ऐसे अपराध को अंजाम देने वालों को सरे - आम फांसी दे देनी चाहिए | जिससे फ़िर कभी कोई अपराधी ऐसा अपराध करने से पहले अपने मौत को निश्चित कर लें |
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