विकास पाण्डेय
राजनीति की अब ऐसी कोई परिभाषा बची नहीं है,जिसकी बात की जाए.सियासत बाजो ने इसका हर पहलुओं पर चीर हरण किया है.कोई कहता है जीवन के इस अमूल्य समय को दो कौड़ी के राजनीति पर क्यों खराब किया जाए, तो किसी का कथन है कि यह किसका किया धरा है,जब साक्षर और बुद्धजीवी तबकों कि जनता अपना बेशकीमती वोट नहीं डालेगी तब तक इस देश में कुछ बदलने वाला नहीं है. तभी तो योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि “शरीर का खोट तो कपाल भाति की चोट से दूर हो सकता है,लेकिन लोकतंत्र का खोट सिर्फ वोट की चोट से ही ठीक हो सकता है”।जब बाबा रामदेव की बात की है तो इस पर ही बात करते हैं .
विश्व भर में योगगुरु के नाम से मशहूर बाबा रामदेव ने ‘भारत स्वाभिमान’ के नाम से एक राजनीतिक पार्टी बनायी है,और उन्होंने कहा कि “ करोड़ो दलित मेरे अनुयायी हैं,और अगर मै बदलाव लाने की प्रक्रिया शुरू करूँगा तो सब मेरा साथ देंगे. अब आपको यह याद दिलाने की ज़रूरत नहीं की दलित नाम को कौन सी राजनीतिक पार्टी खूब भांजा रही है. और उसी के बल पर आज सत्ता में पूर्ण बहुमत से काबिज है. अब आप समझ सकते हैं बाबा रामदेव कौन सी रणनीत अपना रहे हैं. जैसा की बाबा जी ने कहा कि “मौजूदा राजनीतिक दलों से सत्य का अंकुश हट गया है . दलितों की हितैषी कहने वाली पार्टी को अब दलितों की फिक्र नहीं , दलित सिर्फ आलीशान पार्कों में अपने नेताओं की प्रतिमाएं निहार कर खोखला गौरव महसूस कर सकते हैं। इससे दलितों के पेट नहीं भरते और न ही उन्हें इन पार्कों में आसरा मिलता है”।
बाबा रामदेव को भलीभांति पता है कि अगर इस वर्ग का साथ मिल गया तो 2014 के लोकसभा चुनाव में उनका सपना पूरा हो जाएगा . लेकिन क्या इस देश में जो भी पिछड़े हैं वो दलित हैं,जो अनपढ़ हैं वे सिर्फ दलित ही हैं,या फिर उनको दलित कहकर जाती के नाम से उनका लाभ उठाना. एक तरफ तो बाबा जी ने कहा कि मै कोई पद नहीं लूँगा यहाँ तक तो बात ठीक लगती है ,लेकिन जनता को यह भी पता है कि सर्वोसर्वा के पद पर बाबा जी ही आसीन रहेंगे.
राजनीति में आना, देश को समृधी के शिखर पर पहुँचाना, विश्व भर में भारत के गौरव को बढ़ना ,एक अच्छे देश प्रेमी कि पहचान है. परन्तु किसी विशेष वर्ग को केन्द्र में रखकर राजनीति करना और उसमे सफल होना एक कुशल राजनीतिज्ञ को दर्शाता है लेकिन एक अच्छा मनुष्य नहीं.
अब देखना यह है कि जिस तरह भारत कि खोयी हुई योग संस्कृति को बाबा रामदेव ने वैश्विक स्तर पर पुनर्जीवित किया है,क्या उसी तरह राजनीति में नेक बदलाव कर सकेंगे .
13 comments:
“शरीर का खोट तो कपाल भाति की चोट से दूर हो सकता है,लेकिन लोकतंत्र का खोट सिर्फ वोट की चोट से ही ठीक हो सकता है”।
बिल्कुत सत्य से।
.... बाबागिरि और नेतागिरि मे जमीन आसमान का अंतर है .... बेहतर होता सिर्फ़ बाबा ही रहते!!!
kulwant aur shyam ji ka kehna bilkul satya hai......
बाबा को ज़रूर राजनीति में आना चाहिए ... अगर कुछ भला हो सके देश का तो क्या बुराई है ... क्या पता इन भ्रष्ट राजनेताओं से कुछ ठीक ही निकलें .... हर बात में शुरू से विरोध करना ठीक नही ....
इस विषय पर कुछ कहना मुश्किल है क्यूंकि बाबा तो बस अभी अभी राजनीती में प्रवेश हुए हैं और आगे देखते हैं की बाबा के आने से भलाई होता है सबका या बुराई!
आपने जिस सवाल पर अपनी बात समाप्त की है बस उसी के जवाब का मुझे भी इंतज़ार है...पद नहीं लूँगा ये तो सब कहते हैं लेकिन होता क्या है ये तो समय के गर्भ में छिपा है..आशा करें कि सब ठीक हो..और वाक़ई कोई बदलाव आए..
Jab duniya bhar ke gunde ,mavalee,mafiya,histree sheeters---khaddar pahan kar raton rat sabhyata ka mukhauta odh lete hain to ek yog guru ke rajneeti men ane men kya harj hai?
Aapke vichaaron se main sahmat
hoon.Aap hmesha kuch n kuch naya
dene kee kaushish karte hai.meree
taraf se aapko bahut-bahut badhaaee.
Bhai mera manna to ye hai ki Baba ji ko bhi try kar lene do!
Himmat to kar hi rahe hain! Dekhna ye hai ki kya vastav mein Babaji ki following rajneeti mein unke kam aayegi!?
इन्हे भी ट्राई कर लो क्या हर्ज है .मौका तो मिलना ही चाहिए....
Ramdev baba ke liye kahungi...wo yoga tak apne aapko seemit rakhen to achha ho..jo koyi kisi ek warg ko leke baat karta hai,us parse wishwas hat jata hai..
Loktantr me jan jagruti ki behad zaroorat hai..
बाबा रामदेव को भी अपनी राजनैतिक महत्त्वकांक्षा को पूरी करने की इच्छा होगी ही....समाज में एक स्थान बना लेने के बाद सबको राजनीति में जाने का सपना होता ही है...लेकिन समुदाय विशेष की बात करके राजनीति में कदम रखना सफलता की गारंटी नहीं देता....मुद्दा राष्ट्रीय होना चाहिए ...प्रांतीय या जातिविशेष का नहीं....तभी सबका समर्थन मिलेगा....अभी जो काम बाबा कर रहे हैं...इसमें सफलता की पूरी गारंटी है..हर जगह देश में भी और विदेश में भी...योग राष्ट्रीय नहीं वैश्विक ज़रुरत है...लेकिन राजनीति में जब वो आएंगे तो उनका दायरा छोटा हो जाएगा...और परेशानियां बड़ी...उनपर गिद्ध दृष्टि रखी जायेगी....और अच्छाइयों को कम गलतियों को ज्यादा टूल दिया जाएगा...बाबा जी सफल होंगे या नहीं ...और ये तो समय ही बताएगा....
बहुत अच्छी प्रस्तुति....
बाबा को खुद चुनाव लड़ने से बचना चाहिये, नही तो वे अपनी गरिमा खो देगें।
आपके बहुत बेहतर शब्दो मे अपनी बात रखी है, अच्छा लेखन करते है।
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