एक ही देश कि मिटटी में जन्में लोग जिसमें से कुछ उस मिट्टी कि सुरक्षा के लिए अपनी जान कि बाजी लगा देते है ..और कुछ अपने ही देश कि मिटटी को बेचना शुरू कर देते है । जैसा कि अभी एक महिला आई यफ यस अधिकारी को भारत कि गुप्त सूचनाओं को पाकिस्तान के आईएसआई तक पहुचाने का मामला सामने आया है । ये बड़े ही शर्म कि बात है ....उच्च पद पर नियुक्त अधिकारी अपने देश के साथ धोखा देने के बारें में सोच भी कैसे लेते है । क्या उनका ज़मीर ऐसा करते हुए ज़रा से भी नहीं धिकारता । क्या उनके जहन में एक बार भी ये बात नहीं आती कि इसी देश की सुरक्षा करते हुए बहादुर सैनिक शहीद हो जाते है । दुशमन के साथ जब कोई अपना मिल जाये तो दुशमन के लिए हर रस्ते आसान हो जाते हैं ।
इसी तर्ज पर एक कहानी सुनाता हूँ,जो एक मेरे मित्र ने हमें सुनाई थी ।
एक बगीचे मैं कई पेड़ थे ...एक दिन एक लकडहारा आया और अपने कुल्हाड़ी से एक पेड़ पर वार करने लगा .....जिस पेड़ को लकडहारा काटने का प्रयास कर रहा था, उसके बगल वाले पेड़ न कहा '' आज तू तो गया ये तुझे काट कर ही रहेगा '' कुल्हाड़ी की वार सहते हुए पेड़ ने कहा ...''ये जितना भी प्रयास कर ले मुझे नहीं काट पायेगा ''.....लकडहारा भी प्रयास करते करते थक गया और वह लौट गया । लकडहारा फिर दुसरे दिन आया ,ये उम्मीद लेकर कि आज तो इसे गिरा कर रहूँगा .......दूर से लकडहारे को देखकर बगल वाले पेड़ ने फिर कहा ''आज तो तुझे पक्का नहीं छोड़ेगा '' घायल पेड़ बगल वाले पेड़ से कहा ''आज भी ये नहीं काट पायेगा'' ........और ऐसा ही हुआ लकडहारा अथक प्रयास किया लेकिन पेड़ को काटने में असफल रहा ...........तीसरे दिन फिर लकडहारा चल दिया पेड़ को काट गिराने के लिए ........इस बार लकडहारे को आते देख .......चोट खाया हुआ पेड़ बगल वाले पेड़ से कहा '' आज मै नहीं बचूंगा '' बगल वाले पेड़ ने झट से कहा ''क्यूँ ये तो दो दिन से तुझे काटने का प्रयास कर रहा था नहीं काट पाया तो आज कैसे काट लेगा '' चोटिल पेड़ ने कहा '' आज इसके साथ आपना (लकड़ी ) मिल गया है ......क्यूंकि दो दिन से बिना बेत कि कुल्हाड़ी लेकर आता था ........लेकिन आज उस कुल्हाड़ी में लकड़ी कि बेत लगा कर आया है । और लकड़ी तो अपने बिरादरी कि है ......जब वही साथ आगयी तो मुझे काटने में लकडहारे को कोई परेशानी नहीं होगी '' जब अपने ही लोग घर उजाड़ने वाले का साथ देने लगे ......तो उस घर को उजाड़ना आसान हो जाता है ।
कम से कम अपने देश की मिट्टी के साथ तो गद्दारी न करो !