विकास पाण्डेय
आज 27 मार्च है, वैसे तो कोई ऐतिहासिक दिन नहीं है,लेकिन यदि हम चाहें तो इसे अविस्मर्णीय दिवस बना सकते हैं। बस हमें २ रूपये कि मोमबत्ती खरीदनी होगी और बिजली से महज एक घंटे तक दूर रहना होगा । अगर हम ऐसा करते हैं तो हम दुनिया भर के लाखों- करोड़ों लोगों कि जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संरक्षण [अर्थ आवर] की इस मुहिम में शामिल हो जायेंगे ।
वैसे अपनी धरती को हरा भरा बनाने के लिए ये आइडिया ग़लत नहीं है,तभी तो 2007 से शुरू हुए इस अभियान में अभी तक छोटे - बड़े देशों को मिलाकर लगभग 90 देश और 4000 शहर जुड़ चुके हैं । जब हम अपनी स्वेच्छा से अपने घरों की बत्ती बुझाते हैं तो हम समाज और दुनिया को बेहतर बनाने के आन्दोलन का अहम हिस्सा बन जाते हैं।
अर्थ आवर ने दुनिया में ऊर्जा संरक्षण को बचाने की छोटी कोशिश में अपना विशेष योगदान दिया है। वैसे मुझे लगता है की किसी भी महान कार्य का आगाज़ छोटे से ही होता है। कौन जानता था की 2007 सिडनी ,आस्ट्रेलिया से शुरू हुई इस मुहिम में आज इतने सरे लोगों का समर्थन मिल जाएगा।
वैसे इस साल लोगों को जागरूक करने के लिए अर्थ आवर का ब्रांड अम्बेसडर फिल्म अभिनेता अभिषेक बच्चन को बनाया गया है। अर्थ आवर के प्रति लोगों में जागृति पैदा करने के लिए इस बार दिल्ली की सड़को पर नवयुवकों ने जगह - जगह साईकिल रैलियाँ निकाली और लोगों को इस संवेदनशील अभियान में जोड़ने का प्रयास किया ।
सिर्फ एक दिन ! एक दिन क्या , एक घंटा अर्थ आवर मनाने से कुछ नहीं होने वाला है । हमको प्रतिदिन थोड़ा जागना होगा और अपनी तरफ से जितना हो सके कोशिश करनी होगी तब जाकर इस तरह की कोशिशें सफल होंगी ,खैर जिस दिन होली होती है उस दिन गुझिया खाने का स्वाद कुछ और ही होता है तो आज अगर एक विशेष घण्टा ( 8.30 pm - 9.30 pm) अर्थ आवर के नाम है तो मैं इसके लिए बहुत उत्साहित हूँ और इसका अभिनन्दन करता हूँ। साथ में आपसे यह आग्रह करता हूँ की आप भी कृपया इसमें सहयोग दें।
आज 27 मार्च है, वैसे तो कोई ऐतिहासिक दिन नहीं है,लेकिन यदि हम चाहें तो इसे अविस्मर्णीय दिवस बना सकते हैं। बस हमें २ रूपये कि मोमबत्ती खरीदनी होगी और बिजली से महज एक घंटे तक दूर रहना होगा । अगर हम ऐसा करते हैं तो हम दुनिया भर के लाखों- करोड़ों लोगों कि जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संरक्षण [अर्थ आवर] की इस मुहिम में शामिल हो जायेंगे ।
वैसे अपनी धरती को हरा भरा बनाने के लिए ये आइडिया ग़लत नहीं है,तभी तो 2007 से शुरू हुए इस अभियान में अभी तक छोटे - बड़े देशों को मिलाकर लगभग 90 देश और 4000 शहर जुड़ चुके हैं । जब हम अपनी स्वेच्छा से अपने घरों की बत्ती बुझाते हैं तो हम समाज और दुनिया को बेहतर बनाने के आन्दोलन का अहम हिस्सा बन जाते हैं।
अर्थ आवर ने दुनिया में ऊर्जा संरक्षण को बचाने की छोटी कोशिश में अपना विशेष योगदान दिया है। वैसे मुझे लगता है की किसी भी महान कार्य का आगाज़ छोटे से ही होता है। कौन जानता था की 2007 सिडनी ,आस्ट्रेलिया से शुरू हुई इस मुहिम में आज इतने सरे लोगों का समर्थन मिल जाएगा।
वैसे इस साल लोगों को जागरूक करने के लिए अर्थ आवर का ब्रांड अम्बेसडर फिल्म अभिनेता अभिषेक बच्चन को बनाया गया है। अर्थ आवर के प्रति लोगों में जागृति पैदा करने के लिए इस बार दिल्ली की सड़को पर नवयुवकों ने जगह - जगह साईकिल रैलियाँ निकाली और लोगों को इस संवेदनशील अभियान में जोड़ने का प्रयास किया ।
सिर्फ एक दिन ! एक दिन क्या , एक घंटा अर्थ आवर मनाने से कुछ नहीं होने वाला है । हमको प्रतिदिन थोड़ा जागना होगा और अपनी तरफ से जितना हो सके कोशिश करनी होगी तब जाकर इस तरह की कोशिशें सफल होंगी ,खैर जिस दिन होली होती है उस दिन गुझिया खाने का स्वाद कुछ और ही होता है तो आज अगर एक विशेष घण्टा ( 8.30 pm - 9.30 pm) अर्थ आवर के नाम है तो मैं इसके लिए बहुत उत्साहित हूँ और इसका अभिनन्दन करता हूँ। साथ में आपसे यह आग्रह करता हूँ की आप भी कृपया इसमें सहयोग दें।
10 comments:
yaad dilane ke liye dhanyawaab devesh bhai.
एक दिन से शुरु तो हो..हम तो सहयोग दे रहे हैं.
...बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति!!!
भास्कर साहब विचारो का दर्पण पर मैं भी अपना विचार व्यक्त करता हूं (विकस पाण्डेय )
hum sath-sath hai....
kunwar ji,
स्वागत योग्य हैं ऐसे प्रयास .........
काश आदत बन जाए।
यहीं सुझाव हिफाजत बन जाए\
9 minute rahte hain 8:30 me chaliye bujha deta hoon... :) vaise ye khoob rahi ki pichhli post par candle aapne pahle hi jala rakhi hai.
aapka jikra hi aapki fikra hai.. :)
there is an innocence in your posts..just like a fighting PARWAANA with the SHAMAA of social concerns..keep fighting devesh ji..
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