August 27, 2011

बहुत हो गया जुल्म

देवेश प्रताप

बदल देंगे इतिहास
ये हुंकार भरते हैं ॥
ये जनता की है आवाज
जिससे हुकमत संवरती है ।

बहुत हो गया जुल्म
अब हम नहीं सहेंगे ॥
मांग के देखो घूंस
तुम्हे हम होश में लायेंगे ॥


शर्त इतनी है ये इरादा न बदले
ये बदलाव का सूरज शाम को न डूबे ॥

August 23, 2011

जनता बेवकूफ नहीं है

देवेश प्रताप

भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे अन्ना हजारे के आन्दोलन में कुछ लोग इसके ख़िलाफ़ बोल कर अपनी अलग ख्याति बटोर रहें हैइसी तरह एक फ़िल्मी दुनिया के महानुभाव महेश भट्ट निर्माता निर्देशक दिया कि '' जहाँ झूट बोला जाता हैं जनता वहीँ जाती है ......और झूट बोलना हम लोगों का काम है '' मतलब जनता बेवकूफ है तुम फिल्म बनाते हो और जनता बेवकूफों कि तरह फिल्म देखने चली जाती है ....वैसे तर्क जो भी रहा हो ....इस बात से तय है की अपने दर्शकों के लिए कोई इज्ज़त नहीं महेश भट्ट के अन्दरवैसे ऐसे मदारियों के बोलने से लोगों पर कोई फर्क नहीं पड़ता हैफिर भी इनकी सोच तो देखिये उस जनता को ये बेवकूफ समझते हैंजिनके वजह से इनकी रोजी -रोटी चलती हैऔर भट्ट साब आपको लग रहा है आज पूरे देश में जोलोग इस क्रान्ति में शामिल है .....वो लोग बेफकूफ है ......तो ये आपकी गलत फहमी हैये वो जनता है जो आपके द्वारा बनायीं गई फिल्मो को जब पसंद करती है तो सर चढ़ा लेती और पसंद नहीं आती तो लात मार देती हैक्यूंकि जनता इतने भी बेवकूफ नहीं हैये एक मुहिम है भ्रष्टाचार से मुक्ति पाने कीजो आज तक नहीं हुई है और शायद आगे कभी देखने को भी नहीं मिलेगी .......यदि भ्रष्टाचार से हर इंसान त्रस्त होता तो यूँ सड़को पर जनांदोलन करता

August 21, 2011

हर इंसान भ्रष्ट है

देवेश प्रताप

भारत की जनता अब त्रस्त हो चुकी है भ्रष्टाचार से ......इस भ्रष्टाचार के खिलाफ छिड़ी मुहिम में प्रत्येक वो व्यक्ति शामिल है ...जो आज तक भ्रष्टाचार का शिकार हुआ है ...और जो करता आया है ..सिर्फ चन्द नेताओं को छोड़ कर . जो भ्रष्टाचार का शिकार है ..उसका शामिल होना तो स्वभाभिक है .....लेकिन वो जो करता आया है वो भी त्रस्त हो गया है ......किसी कर्मचारी ने कुछ पैसे लेके फ़ाइल आगे बढाई है ...तो वही कर्मचारी अपने बेटे का अच्छे स्कूल में प्रवेश कराने के लिए डोनेसन देता है . उस स्कूल के प्रबंधक ने स्कूल को मान्यता प्राप्त करने के लिए सम्बंधित संस्था को पैसा खिलया होगा .......स्वभाविक तौर पर अंत में चक्कर काट कर घूसखोरी की रकम किसी नेता की झोली में गिरा होगा .......फलस्वरूप उस कर्मचारी ने पैसा खाया क्यूंकि उसको अपने बेटे को अच्छे स्कूल में प्रवेश दिलाना था ......स्कूल के तरफ से डोनेसन इस लिए लिया गया क्यूंकि उसने स्कूल की मान्यता प्राप्त करने में पैसे खर्च किए थे .......सम्बंधित संस्था ने पैसा खाया क्यूंकि उसे मिनिस्ट्री में पैकेट के साथ हाजरी लगानी होती है . तो ऐसे शुरू होता है भ्रस्टा चार की कड़ी ..............लेकिन ज़रा गौर कीजिये वो व्यक्ति जिसने कर्मचारी को पैसा खिलया वो कौन था .....वो एक गरीब लाचार और असहाय बाप था ..जिसे अपने बेटे के मृत्युप्रमाणपत्र बनवाना था . यदि वो पैसे न देता तो मृत्य प्रमाणपत्र न बनता ........प्रमाण पत्र न बनता तो .......जिस ईमारत के निर्माण में मजदूरी करते समय कच्ची छत गिरने से मौत हुई थी .........जिसके लिए सरकार की तरफ से कुछ मुवाजा मिलना था.......तो शायद वो न मिलता .........यदि मुवाजा न मिलता ...तो शायद अखबार के किसी कोने में एक खबर छपती ....'कर्ज में डूबा एक परिवार के चार सदस्य जहर खाकर आत्म हत्या कर ली' .शायद इसलिए हर इंसान भ्रष्ट है ........और अब त्रस्त है .

August 18, 2011

देश की दसा

देवेश प्रताप

यदि किसी तीसरी दुनिया से चंद्रशेकर आज़ाद , महात्मा गांधी ,सरदार बलभ भाई पटेल तथा वो तमाम क्रांतिकारी जिनका नाम इतिहास के पन्नों में भी नहीं वो भारत की इस दसा को देख रहे होंगे तो ....वो क्या सोच रहे होंगे ? वो आपस में यही चर्चा करते होंगे की जिस देश को आज़ाद करने में अपने खून के एक एक कतरे को कुर्बान कर दिया . उस देश को ये तानाशाह नेताओं ने फिर से गुलाम बना दिया . फर्क इतना इस गुलामी को चोला दूसरा है . आम जनता अपने मेहनत की कमाई इकठ्ठा कर के टैक्स जमा करती है . और उस टैक्स की रकम से नेता अपने बिस्तर की चादरें बदलते हैं .

जनता के हक की आंधी क्या चली सरकार ने अपना संतुलन ही खो दिया ......वो क्या कर रही उसे खुद नहीं समझ में आ रहा ...कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने अपनी जुबान पे लगाम भी लगाना बंद कर दिया है ........और इनकी बेशर्मी की हद तो देखिये खुद को मिडिया के सामने दूध की तरह साफ़ बता रहें हैं ...........

August 16, 2011

.भ्रष्ट सरकार की भ्रष्ट कहानी

देवेश प्रताप

इस भ्रष्टाचार पर पेश है एक नाटक ....... जिसका विस्तार कुछ इस तरह है .......''चारों तरफ भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन फैला ऐसे में सबसे बड़ी समस्या कांग्रेस के नेताओं को है.....

राहुल देखता है कि चारो तरफ सरकार के खिलाफ नारेबाजी हो रही है ...ऐसे में परेशान होकर दौडकर अपनी माँ के पास आता है ..


राहुल -: माँ -माँ बाहर बहुत हंगमा मचा हुआ ..लोग अपने ही खिलाफ नारा लगा रहे है ...


सोनिया -: ओहो ...इतनी बात से परेशान हो जाता है ....अरे ये तो बेवकूफ जनता है इसका तो काम ही यही ...है


राहुल-: (घबराकर) लेकिन माँ ऐसे मे मेरा राजनीतिक भविष्य न चौपट हो जाये ....मै जा के कुछ बायन दूँ क्या ..


सोनिया-: (दिलासा दिलाते हुए ) अरे नहीं पगले ....तुझे यहाँ कुछ नहीं बोलना ...जहा मै कहू वही बोलकर .......बाकी के दरबारी है... वो बोलेनेगे .......वैसे भी तू अभी इन सब मामलो में अभी छोटा है


तभी वहाँ दौड़े दौड़े कपिल आते है .....


कपिल-: अरे मेम साब अब तो गजब हो रहा ये अन्ना तो मानने को तैयार ही नहीं .......(अपने आप को संभालते हुए ) वो तो लंगोट वाले को तो उस बार धक्का मुक्की देके जबरदस्ती भगा दिये थे ......अब इसके साथ क्या किया जाय ??


सोनिया-: हुम्म ...इतने वर्षों में जब किसी और कि सरकार ने लूट खसोट किया तो कुछ नहीं ......हमारी सरकार थोडा लूट खसोट ....कर रही तो सब पीछे ही पड़ गये है .........मै भी किसी से कम नहीं इस को पकड़ कर सीधा जेल में डलवा दो ...


राहुल-: (कोसते हुए ) मै सब समझ रहा हूँ .....ये सब राजनीति में घुसने का प्रयास कर रहें है .......मेरे समझ में नहीं आ रहा में मेरा क्या होगा ......(.परेशान है ) .


तब तक वहाँ दिग्विजय भी पहुँच चुके होते है ...


दिग्विजय - अरे बेटा तुम्हे परेशान होने कि ज़रूरत नहीं है .......मै ऐसा वार करूँगा कि साँप भी मर जायेगा और लाठी भी नहीं टूटेगी ...


राहुल - मतलब


दिग्विजय - अरे यही जेल भेजवा कर मीडिया के सामने उन्हें गलत साबित कर देंगे .....देखो हम भ्रष्ट है यह तो पूरी दुनिया जान चुकी है ....तो क्यूँ न अब सारे दाँव-पेंच अजमा लिए जाए


सोनिया -( दिग्विजय को ऑर्डर देते हुए ) और हाँ ...जो और अपने दरबारी हैं उनको कह दो ..बयानबाजी करते रहे है सरकार की तरफ से


इतने में प्रणव भी वहाँ पहुचते है ..


राहुल -- आप कहाँ थे प्रणब अंकल


प्रणव - अरे बस आही रहा था कमबख्त आंदोलनकारियों ने पूरा रास्ता जाम कर रखा है ...


राहुल - अंकल आप को देख लग रहा है की इस आन्दोलन से आप पर कोई फर्क नई


प्रणव - अरे भाई ..हम बेशर्म नेताओ पर ऐसी छोटी-मोटी बातों का असर पड़ने लगेगा तो हम राजनीति कैसे करेंगे ....


प्रणब की बात पूरी करते हुए दिग्विजय कहते हैं ..


दिग्विजय - बिलकुल और ये भूख की मारी जनता कितना दिन आंदोलन करेगी ......


तभी प्रणव के मोबाइल बजता है ...


फोन पर दूसरी तरफ -- सर क्या करें भीड़ तो बढती जा रही है ...


प्रणव फोन पर -- अर्रेस्ट कर लो सब को


दूसरी तरफ - सर लेकिन ये तो जास्ती होगी


प्रणव -- जितना मै कह रहा हूँ उतना करो बाकी में देख लूँगा ..


दूसरी तरफ - जी जी सर .


फोन रखते हुए ...सब की नज़रे प्रणव पर टिकी हैं ..


सोनिया - क्या हुआ ..


प्रणव -- कुछ नहीं ...खुशी मनाओ अब वो अरेस्ट हो जायेगा .....सब शान्ति पड़ जायेगी


दिग्विजय - मैम ....वो टीवी चैंनल वालों के लिए पैकट तैयार कर दीजिए ....ताकि मिडिया उसे ज़्यादा कवरेज न कर सके


सोनिया - हाँ ...वो तो ठीक है लेकिन पिछली बार बाबा वाले आन्दोलन में तो मिडिया ने इनकार कर दिया था तो इस बार मानेगी की नहीं ..


कपिल - कोशिश करके देखते हैं ...


राहुल - कर लो जो आप लोग जो करना चाहते हो ...लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है की हमारी भ्रष्ट रुपी जहाज ...इस निश्छल रूपी जनता के सागर में डूब जायेगी ..




सभी प्रश्नवाचक नज़र से राहुल की तरफ देखते है ...और पर्दा गिरता है .




तो दोस्तों कैसा लगा यह नाटक ....भ्रष्ट सरकार की भ्रष्ट कहानी .



August 15, 2011

आज़ाद भारत

देवेश प्रताप


आज भारत 64 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है .....आज़ाद भारत जहाँ हरभारतीय आजादी की सांस ले रहा है | बीते 64 सालों में भारत अपनी तरक्की काफी तेज़ी सी की है | शिक्षा , व्यसाय ....तथा तमाम क्षेत्रों में तरक्की हुई . ये हमारे लिए खुशी की बात है. जिस भारत की कमर टूटचुकी थी वह अब फिर से अपनी कमर सीधी करके खड़ा होरहा है . लेकिन अफ़सोस इस बात का है ......कि इस आज़ाद भारत में लोग आपस में एक दूसरी की आजादी छीनने में जुट गए है
. ...धर्म , जाती , क्षेत्रवाद जैसे बेफजूल मुद्दे पर लोग आपस में लड़ना शुरू कर दिया है ...जो हमारे देश के लिए सबसे घातक साबित हो रहा है ..........हमारे देश में कहा जाता
है ''अनेकता में एकता है '' लेकिन हमें लगता यह अब केवल एक मुह बोली कहवात रह गई ......धर्म के नाम पर हम दंगा करते है .......जाती के नाम पर ऊच -नीच का विभाजन करते हैं ........क्षेत्रवाद के नाम पर अपने ही देश के लोगों को पारये की तरह व्यहार करते है . ...... तो काहे बात की एकता . इन सब के लिए हम खुद ज़िम्मेदार समाज का हर इंसान बुरा नहीं होता कोई एक-दो ही बुरा होता है ....फर्क इतना होता है ..वो बुरा इंसान अपने बुराई फ़ैलाने में कामयाब होता . और जो नेक है .....वो चुप-चाप ...उस बुराई को देखता और सहता है ........आज़ादी हम सब की रगो में होना चाहिए ........जिस दिन इस बात का एहसास खुद को हो जायेगा उस दिन किसी गली में धर्म क नाम पर दंगे नहीं होंगे .......जाती -पाती का कोई भेदभाव नहीं होगा ......और न ही क्षेत्रवाद के नाम पर .....उत्तरी और पश्चमी भारत कहा जायेगा |.........यदि ऐसा होगा तो शहीदों की कुर्बानी यूँ जाया नहीं जायेगी | शहीदों के लिए किसी ने क्या खूब कहा ......

इनके माथे पे है खून का टीका
देखो देखो ये रोली नहीं है
थक गया वीर जब लड़ते लड़ते
माँ की ममता तड़प कर ये बोली
आ मेरे लाल गोदी में सो जा
अब तेरे पास गोली नहीं है ......

इस स्वतंत्रता दिवस पर आप सब को ढेर सारी बंधाईयां | जय हिंद , जय भारतमाता .

August 13, 2011

रक्षाबंधन

रक्षाबंधन के पावन अवसर ''विचारों का दर्पण '' कि ओर से आप सब को ढेर सारी बंधाइयां .






August 9, 2011

'भ्रष्ट रहो वरिष्ठ रहो'

देवेश प्रताप



बहुत दिन हो गए ब्लॉग पर राजनीति , समाज पर कोई चर्चा नहीं हुई क्यूंकि समय नहीं मिला .....और जब समय मिला तो आलस्य से लैपटॉप के कीबोर्ड पर उंगलिया नाचने से मन कर दी खैर आज लिखने का मन किया तो सोचा कुछ लिख ही देता हूँ .......भ्रष्टाचार पिछले कुछ दिनों से सबसे ज्वलनशील मुद्दा बना है ......कोई अनसन कर रहा है तो कोई रैली .....इस बार आम जनता भी किनारे -किनारे से वरोध कर रही है लेकिन मेरे समझ में ये नहीं आया की आखिर भ्रष्ट कौन है .....सरकार भ्रष्ट हो नहीं सकती .....सरकारी अफसर तो बेचारे पूरे दूध की तरह साफ़ है .......आम जनता भ्रष्ट होकर भी क्या करलेगी .....तो भ्रष्टाचार फैला कहाँ से ?......आप स्वयं ध्यान दीजिए ....अभी तक जितने भ्रष्टाचार के मामले उभरे हैं .........और उस मामले की जितने भी आरोपी है .......वो बेचारे कहा भ्रष्ट है .....वो तो सरकार से दुहाई लगा रहे ......की ''मैंने किया क्या है ....बस देश के पैसे को अपना समझ कर बैंको में इकठ्ठा कर लिया .....अब इसमें मेरी क्या गलती '' ............बिलकुल सही कहना है इनका ......बेवजह बेचारों को जेल भेज दिया है ......हलाकि जेल एकदम पांचसितारा होटल की तरह तो तकलीफ कोई बात नहीं है ..........अब आपने २०० -३०० रु की चोरी थोड़ी न की है की पाँव में बेड़ियाँ जड़ी हो ....... common wealth खेल की CAG रिपोर्ट आई तो विपछ के नेता तो पीछे ही पड़ गए ....शीला दीक्षित जी को कुर्सी से उतारने के लिए ......अरे भाई इतनी उम्र होगयी है कुछ अपने भविष्य का भी ख्याल रखेंगी की नहीं ....या सिर्फ देश के बारे में सोचती रहेंगी ..........अब रख लिए होंगे कुछ पैसे जमा करके ......अब विपछ से ही पूछिए के उनको अगर मौका मिला होता तो क्या वो .....दो -चार इधर -उधर न किए होते .........हम तो कहते है जाने दीजिए क्यों बुढ़ापे में लोग उन्हें परेशान कर रहें हैं ........... भ्रस्टाचार करने वालों को 'भ्रष्ट रहो वरिष्ठ रहो '' का नारा लगाना चाहिए हमें तो लगता ....अब बड़े बड़े दिगज्जों के बीच ये होड़ लगी होगी किसने कितना बड़ा घोटाला किया .....किसने कितने पैसों को गबन किया ??
हद हो गई बेशर्मी की .........आरोप लगता है तो कहेते है कि ''इस आरोप को पूरी तरह साबित करो ........की हम भ्रष्ट है'' अरे देश को लूटने वालों .......एक बार ज़रा इस देश के बारें में भी सोचा करो ..........जब तुम आपनी तिजोरियां भरते हो ......तब इसी देश के मध्यमवर्गीय परिवार का एक सदस्य ......ये सोचता है की बच्चे की फीस कैसे जमा होगी .......घर का खर्च कैसे चलेगा ........ये तो छोडो ज़रा उनके बारे में सोचो ...जिनका पूरा दिन एक वक्त की रोटी के इन्तजाम में बीत जाता है अगर इस बारे में ज़रा से भी सोच लो तो शायद तुम्हारी आत्मा तुम्हे भ्रष्ट होने से पहले तुम्हे रोक दे

August 8, 2011

इनकार किया करते हैं....

देवेश प्रताप

जब कांच का घर था
तो लोग पत्थर मारा करते थे
आज पत्थर का घर है !
तो लोग कांच से वार किया करते है !!

जब उनके शहर से दूर था
तब वो मिलने के लिए तरसते थे
आज उनके दरवाजे पे खड़ा हूँ !
अब वो पहचानने से इनकार किया करते है !!

August 6, 2011

''फ्रेंडशिप डे''

देवेश प्रताप



कहते है आज ''फ्रेंडशिप डे'' है ....यानी दोस्ती का दिन ...वैसे भावनाओ के रिश्तो का कोई दिन नहीं होता ! यहाँ हर रात हर सुबह दोस्तों के बिना नहीं होती एक वास्तविकता होती है... बचपन में बच्चा अपने माँ -बाप की ऊँगली छोड़ पहला हाथ दोस्ती का पकड़ता है ! कहते है हर रिश्ते की डोर पहले से बन कर आती है , लेकिन इस दोस्ती के रिश्ते क़ी डोर हम ख़ुद बनाते है यूँ तो ज़िन्दगी के सफ़र में बहुत से दोस्त मिलते है और बिछड़ जाते हैं .....ये कारवां यूँ चलता रहता है ........लेकिन इस सफ़र में कुछ ऐसे दोस्त बन जाते हैं जो हमेशा के लिए दिलों में बस जाते हैं !


खैर इस रिश्ते को मै शब्दों में ब्याँ नहीं कर सकता ......दोस्ती का रिश्ता होता बहुत अनमोल होता है ...और हमारे सभी मित्र हमारे लिए बहुत अनमोल है !


August 3, 2011

घर से निकला था ....

देवेश प्रताप


घर से निकला था कुछ कोरा कागज
लेकर

सोचा था एक दास्ताने ब्याँ
लिखूंगा

वक्त एक कलम बनकर हाथ
में आगई

कोरे कागज पर वक्त की कलम
चलने लगी

ज़िन्दगी ख़ुद अपनी दास्ताँ
ब्याँ करने लगी

हर मोड़ पर एक नई कहानियाँ
बनने लगी

एक नज़र इधर भी

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